ओबीसी आरक्षण मुद्दे पर ठाकरे सरकार में इच्छाशक्ति की कमी-भाजपा

पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण रहता है तो महाराष्ट्र में क्यों नहीं है लागू हो सकता है? यही नहीं उन्होंने कहा कि ठाकरे सरकार की अज्ञानता और नकारात्मकता के कारण राज्य में ओबीसी आरक्षण को समाप्त होने की भी बात कही है|

ओबीसी आरक्षण मुद्दे पर ठाकरे सरकार में इच्छाशक्ति की कमी-भाजपा

भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य प्रतीक करपे ने महाराष्ट्र की मविआ के ठाकरे सरकार ओबीसी आरक्षण रद्द करने का गंभीर आरोप लगाया है|उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण रहता है तो महाराष्ट्र में क्यों नहीं है लागू हो सकता है? यही नहीं उन्होंने कहा कि ठाकरे सरकार की अज्ञानता और नकारात्मकता के कारण राज्य में ओबीसी आरक्षण को समाप्त होने की भी बात कही है|

विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने बार-बार चेतावनी दी है कि महाराष्ट्र का शाही डेटा संकलित नहीं किया गया है। डेढ़ साल पहले इस प्रक्रिया को पूरा करने से ओबीसी समुदाय को राजनीतिक आरक्षण देना संभव हो जाता। ट्रिपल टेस्ट को पूरा करने के लिए पहला आदेश 13 दिसंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया था। ढाई साल बाद भी सरकार इसे लेकर गंभीर नहीं है। करपे ने कहा है कि यह महाविकास अघाड़ी सरकार की राज्य में पूर्ण विफलता है।
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा शाही डेटा प्रदान करने के बाद शीर्ष अदालत का फैसला आया। मध्य प्रदेश ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन किया। इंपीरियल डेटा, ट्रिपल टेस्ट पूरा करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला किया। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विपक्ष के नेता को फंसाने के अपने प्रयास में ओबीसी के शाही आंकड़ों को संकलित नहीं किया। प्रतीक करपे ने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि अब ओबीसी आरक्षण के लिए लड़ने की जरूरत है|
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 18 मई को मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण को मंजूरी देते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया है कि मध्य प्रदेश में आगामी स्थानीय निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ कराए जाएं। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह की सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत दिया है|

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