हाल के दिनों में, कई राज्यों ने नागरिकों को सीधे नकदी के रूप में लाभ प्रदान करने के लिए योजनाएं शुरू की हैं।इसमें मध्य प्रदेश में लाडली बहना और महाराष्ट्र में लड़की बहिन योजना पर देशभर में चर्चा हुई|विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली सरकार ने ‘लाडली बहना’ योजना के जरिए दिल्ली की महिलाओं को 2100 रुपये देने की घोषणा की थी|
तो वहीं कांग्रेस ने भी महिलाओं को 2500 रुपये देने का वादा किया है|इस बीच, सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने न्यायिक कर्मचारियों और न्यायाधीशों के लंबित वेतन और पेंशन की सुनवाई के दौरान इन मुफ्त धन वितरण योजनाओं पर नाराज़गी भरे सवाल उठाए हैं।
इस समय सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.आर.गवई और ए.जी. मसीह की पीठ ने ‘लाडली बहना’ योजना और दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले दिए गए धन के रूप में किए गए वादों का उल्लेख किया। सुनवाई के दौरान जज ने कहा, ”विभिन्न राज्य सरकारों के पास मुफ्त चीजें देने के लिए पैसे हैं, लेकिन जब जजों को वेतन और पेंशन देने की बात आती है, तो वे दावा करते हैं कि यह एक वित्तीय संकट है।”
कोर्ट की बेंच ने आगे कहा, ”सभी राज्य सरकारों के पास ऐसे लोगों के लिए पैसा है जो कोई काम नहीं करते हैं. लेकिन जब चुनाव आते हैं, तो आप ‘लाडली बहना’ और अन्य नई योजनाओं की घोषणा करते हैं, जहां आप पैसे के रूप में लाभ देते हैं।अब तो दिल्ली में भी कुछ राजनीतिक दल सत्ता में आने पर एक विशेष योजना के तहत 1000 से 2500 रुपये नकद देने की घोषणा कर रहे हैं|’
न्यायिक कर्मचारियों और जजों के वेतन और पेंशन के सवाल पर सुनवाई के दौरान: अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमन ने सरकार के पास बढ़ते पेंशन बकाया पर प्रकाश डाला। उस वक्त जस्टिस गवई ने मुफ्त योजनाओं का जिक्र किया था|
दिल्ली में महिलाओं से वादे: दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने महिला सम्मान योजना के जरिए महिलाओं को पहले 1000 रुपये और बाद में 2500 रुपये देने का वादा किया था। इसके बाद कांग्रेस ने भी ‘प्यारी दीदी’ योजना की घोषणा की, जिसमें सत्ता में आने पर महिलाओं को प्रति माह 2,500 रुपये का वित्तीय लाभ देने का वादा किया गया।
इस बीच हाल ही में कुछ राज्यों में चुनाव से पहले सत्ताधारियों ने महिलाओं के लिए ऐसी योजनाओं की घोषणा की थी| यह भी देखा गया कि इससे उन्हें चुनाव जीतने में मदद मिली|
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