महाराष्ट्र चुनाव नतीजों के बाद महाविकास आघाडी के नेता और समर्थकों ने अपनी गलतियों को खोजने से EVM को दोषी ठहरना मुनासिब समझा। इसी के साथ महाविकास अघाड़ी के नेताओं के दावों को सिद्ध करने के लिए तरह तरह के लोगों डेमो दिए, हालांकि वह डेमो और EVM के बीच कोई समानता नहीं है ऐसा चुनाव आयोग ने बार बार स्पष्ट किया है। इसी के साथ चुनाव आयोग की EVM हैकिंग की चुनौती को लेकर कोई विपक्षी दल सामने नहीं आया है। दरम्यान महाराष्ट्र विधानसभा में हार खाए उम्मीदवारों ने अभी भी EVM से उम्मीद नहीं छोड़ी है।
महाराष्ट्र के बारामती से राष्ट्रवादी कांग्रेस के अजित पवार बड़े मार्जिन के साथ जीतकर आए थे। हालांकि अब उनके विरोधी राष्ट्रवादी कांग्रेस शरद पवार गट से उम्मीदवार योगेंद्र पवार ने चुनाव आयोग से EVM के माइक्रोकंट्रोलर सत्यापित करने की मांग की है। माइक्रोकंट्रोलर को सत्यापित करने के लिए जिला प्रशासन के पास एक आवेदन दायर किया है, जिसके लिए उन्होंने 8.96 लाख रुपए दिए है। इसी तरह शरद पवार गुट से हड़पसर के उम्मीदवार प्रशांत जगताप ने 27 मशीन के सत्यापन की मांग करते हुए 12 लाख का भुगतान किया है। पुणे कैंट से कांग्रेस उम्मीदवार रमेश बागवे ने भी माइक्रोकंट्रोलर सत्यापित करने की मांग की है। इसी के साथ चिंचवड़ विधानसभा के उम्मीदवार राहुल कलाटे 25 EVM की जांच करने के लिए 11 लाख के भुगतान के साथ आवेदन दिया है। पुरंदर के कांग्रेस उम्मीदवार संजय जगताप ने 9.9 लाख रुपये का भुगतान करके 21 ईवीएम के सत्यापन की मांग की है।
बता दें की, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश अनुसार जो भी उम्मीदवार संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में दूसरे या तीसरे स्थान पर रहते है, वे अपने निर्वाचन क्षेत्र से 5 प्रतिशत EVM के माइक्रोकंट्रोलर जांच के लिए अनुरोध कर सकते है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों की बात करें तो 23 नवंबर तक EVM के माइक्रोकंट्रोलर सत्यापित करने के आवदेन की आखरी तारीख थी। वहीं पुणे जिले में करीब 137 EVM के माइक्रोकंट्रोल सत्यापित करने की मांग उठी है। सामूहिक रूप से देखा जाए तो उम्मीदवारों ने चुनाव आयोग को 66.64 लाख का भुगतान किया है।
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बता दें की, माइक्रोकंट्रोलर की जांच में कड़ी निगरानी के बीच उम्मीदवार और VVPAT निर्माण कंपनियों के इंजीनियर शामिल होंगे। जिला चुनाव अधिकारियों ने पुष्टि की कि उन्होंने सत्यापन अनुरोधों के बारे में राज्य के मुख्य चुनाव कार्यालय को सूचित कर दिया है।