3 सितंबर को हुए प्राकृतिक आपदा में करीब 12-13 लोग मलबे के नीचे दब गए, और कई घरों को नुकसान पहुंचा। प्रभावित लोगों ने सरकार से पुनर्वास योजना बनाने की मांग की है। इसी मुद्दे को लेकर प्रभावित लोगों ने सोमवार को जिला उपायुक्त (डीसी) से मुलाकात की।
वार्ड नंबर 2 की पार्षद कुब्जा ठाकुर ने बताया, “भूस्खलन से दर्जनों परिवार बेघर हो गए हैं। लोग घर छोड़कर किराए पर रहने को मजबूर हैं। खाने-पीने की व्यवस्था भी मुश्किल हो रही है। हमने डीसी से मुलाकात की और किराया भत्ता देने की मांग रखी। साथ ही, मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर पूरे क्षेत्र को आपदा प्रभावित घोषित करने की अपील की है।” उन्होंने पुनर्वास योजना के तहत स्थायी आवास उपलब्ध कराने पर जोर दिया।
अखाड़ा बाजार के स्थानीय निवासी अभिनव वसिष्ठ ने बताया कि पूरे बाजार में लगभग डेढ़ किलोमीटर के हिस्से में मकानों को खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने कहा, “भूस्खलन के बाद मिट्टी का कटाव तेज हो गया है। प्रशासन को जल्द सुरक्षा दीवार लगानी चाहिए। जियोलॉजिकल टीम से सर्वे करवाकर पौधरोपण किया जाए, ताकि जमीन स्थिर हो सके और भविष्य में कोई हादसा न हो।”
स्थानीय निवासी विवेक सूद ने आपदा के कारणों के बारे में बताते हुए कहा, “उनका परिवार पीढ़ियों से यहां रह रहा है, लेकिन कभी इतना बड़ा नुकसान नहीं हुआ।” उन्होंने चिंता जताते हुए कहा, “अखाड़ा में ड्रेनेज और सीवरेज सिस्टम की कमी है। मठ के पास अवैज्ञानिक तरीके से बनी कॉलोनियां भूस्खलन को न्योता दे रही हैं। यदि सुधार न हुए, तो लोग लगातार विस्थापित होते रहेंगे।”
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