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Sunday, December 7, 2025
होमन्यूज़ अपडेटमुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने वकील का लाइसेंस तुरंत निलंबित!

मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने वकील का लाइसेंस तुरंत निलंबित!

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सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (6 अक्तूबर) सुबह हुई अभूतपूर्व घटना के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने वकील राकेश किशोर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले किशोर का वकालत करने का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। अब वे देशभर की किसी भी अदालत, ट्रिब्यूनल या कानूनी प्राधिकरण में पेश, पैरवी या अभ्यास नहीं कर सकेंगे, जब तक आगे की अनुशासनात्मक कार्रवाई पूरी नहीं हो जाती।

BCI ने बताया कि किशोर को एक ‘शो कॉज नोटिस’ जारी किया जाएगा, जिसके तहत उन्हें 15 दिनों के भीतर यह बताना होगा कि उनका लाइसेंस क्यों निलंबित न रखा जाए और उनके खिलाफ आगे कार्रवाई क्यों न की जाए। साथ ही, बार काउंसिल ऑफ दिल्ली को आदेश दिया गया है कि इस निलंबन को तुरंत प्रभाव से लागू करे, उनके सदस्यता रजिस्टर में अपडेट करे और इसकी जानकारी अपने क्षेत्राधिकार की सभी अदालतों व ट्रिब्यूनलों को दे।

घटना सोमवार सुबह तब हुई जब सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के दौरान वकील राकेश किशोर ने अचानक मुख्य न्यायाधीश गवई की ओर जूता फेंकने का प्रयास किया और चिल्लाते हुए कहा, “भारत सनातन धर्म का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा।” सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत उन्हें अदालत कक्ष से बाहर ले जाकर हिरासत में ले लिया।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, किशोर द्वारा फेंका गया जूता जस्टिस विनोद चंद्रन के बेहद करीब से गुजरा। बाद में किशोर ने स्वीकार किया कि उनका निशाना मुख्य न्यायाधीश थे और उन्होंने जस्टिस चंद्रन से माफी मांगी। घटना के समय अदालत की कार्यवाही की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस विनोद चंद्रन कर रहे थे। अशांति के बावजूद दोनों जज शांत रहे। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “इन सब बातों से ध्यान मत भटकाइए। यह सब मुझे प्रभावित नहीं करता। सुनवाई जारी रखिए।”

घटना के बाद मुख्य न्यायाधीश ने अदालत के सेक्रेटरी जनरल और सुरक्षा अधिकारियों से बैठक कर सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा की। दिल्ली पुलिस ने राकेश किशोर को हिरासत में लेने के बाद कुछ घंटों में ही कोर्ट परिसर में रिहा कर दिया।सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रोहित पांडेय ने पुष्टि की कि किशोर 2011 से बार एसोसिएशन के सदस्य हैं। उन्होंने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि “ऐसा व्यवहार वकालत की गरिमा को ठेस पहुंचाता है और इसके लिए कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई जरूरी है।”

मामले की जड़ें सितंबर 2025 से जुड़ी हैं, जब मुख्य न्यायाधीश गवई ने मध्य प्रदेश के जवारी मंदिर में 7 फुट ऊंची विष्णु प्रतिमा की बहाली से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की थी,“यह पूरी तरह पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन है। आप खुद को भगवान विष्णु का भक्त बताते हैं, तो जाइए और भगवान से ही प्रार्थना कीजिए।” मुख्य न्यायाधीश की इस टिप्पणी के बाद से सोशल मीडिया और कानूनी समुदाय के कुछ हिस्सों में विरोध देखा गया था। हालांकि, जूता फेंकने जैसी हिंसक हरकत को लेकर वकीलों के बीच व्यापक निंदा हो रही है।

यह घटना सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में अनुशासन और मर्यादा पर गंभीर सवाल खड़े करती है, वहीं बार काउंसिल की सख्त कार्रवाई ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि न्यायपालिका के प्रति असम्मान और हिंसक व्यवहार किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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