नई दिल्ली। सोनिया गांधी ने 10 मई को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक बुलाई है। इस बैठक में पांच राज्यों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस की यह दूसरी बैठक होगी। इससे पहले शुक्रवार को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सांसदों के साथ वर्चुअल बैठक की थी. जिसमें उन्होंने पांच राज्यों में मिली करारी हार की समीक्षा करने लिए कहा था।
बताया जा रहा है कि कांग्रेस में परिवार के प्रति प्रतिबद्ध और राहुल गांधी के करीबी नेता चुनाव नतीजों की समीक्षा कर रहे हैं और वे हार के कारणों की सूची बना रहे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस के बागी नेताओं के समूह में भी तैयारी चल रही है और उधर भी हार के कारणों की सूची बनाई जा रही है। सो, यह माना जा रहा है कि इस बार कार्य समिति की बैठक में गरमा-गरम बहस होगी क्योंकि बागी नेताओं के समूह से जो भी इस बैठक में शामिल होगा वह नेतृत्व पर दोष मढ़ेगा और चुनाव में किए बेसिर-पैर के तालमेल को और प्रचार की रणनीति को हार के लिए जिम्मेदार ठहराएगा। बागी नेताओं को प्रचार में नहीं भेजे जाने का मुद्दा भी उठेगा, खासतौर से गुलाम नबी आजाद को।
इस बैठक से पहले बागी नेताओं के समूह के एक प्रमुख नेता कपिल सिब्बल ने इरादे जाहिर कर दिए हैं। उन्होंने हार के कारणों की समीक्षा करने को तो कहा ही है साथ ही यह भी कहा है कि पार्टी के अंदर से उठ रही आवाजों को सुना जाना चाहिए। अब सवाल है कि पार्टी के अंदर से क्या आवाज उठ रही है? पार्टी के अंदर से नेतृत्व को लेकर आवाज उठ रही है। राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठाए जा रहे हैं। कांग्रेस के जानकार नेताओं का कहना है कि कार्य समिति की बैठक में केरल और असम की हार को लेकर उनके ऊपर सबसे ज्यादा सवाल उठेंगे। इसके अलावा पश्चिम बंगाल में पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी के साथ और असम में बदरूद्दीन अजमल की पार्टी के साथ तालमेल का भी मुद्दा उठेगा। कांग्रेस में एक बड़ा खेमा इसका विरोध करता रहा था। जबकि दूसरी ओर राहुल के करीबी नेताओं का तर्क है कि असम में दो क्षेत्रीय पार्टियों के साथ मिल कर लड़ने की वजह से पार्टी हारी।
कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव पर होगी चर्चा
जानकारों की माने तो इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव पर भी चर्चा होगी, लेकिन हाईकमान इसे टालने के मूड में है। जानकारों का कहना है कि नेतृत्व चुनाव नहीं कराएगा। इस बैठक में राहुल गांधी को दोबारा अध्यक्ष बनाये जाने पर चर्चा की उम्मीद है।