जिलाध्यक्ष को हटाने से प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मंत्रियों के बीच तकरार

कांग्रेस के नेता आपस में लड़ रहे हैं, जिससे पार्टी में खलबली मची हुई है| चंद्रपुर जिलाध्यक्ष को बर्खास्त करने के मुद्दे पर कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार और प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है. वडेट्टीवार ने पटोले पर निशाना साधा है।

जिलाध्यक्ष को हटाने से प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मंत्रियों के बीच तकरार
महाविकास अघाड़ी ने भाजपा के खिलाफ लड़ने के लिए जोरदार सभा की और एकता का संदेश दिया, लेकिन अब देखा जा रहा है कि कांग्रेस के नेता आपस में लड़ रहे हैं, जिससे पार्टी में खलबली मची हुई है| चंद्रपुर जिलाध्यक्ष को बर्खास्त करने के मुद्दे पर कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार और प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है| वडेट्टीवार ने पटोले पर निशाना साधा है।

चंद्रपुर जिले में कृषि उपज मंडी समिति के चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा से हाथ मिलाया। इस चुनाव में कांग्रेस सांसद बालू धानोरकर के पैनल की हार हुई थी। उसके बाद कांग्रेस चंद्रपुर जिलाध्यक्ष प्रकाश देवताले को पद से हटाकर रितेश तिवारी को चंद्रपुर शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष का प्रभार दिया गया| देवताले वडेट्टीवार के समर्थक हैं और तिवारी धानोरकर के समर्थक हैं। चंद्रपुर जिले की राजनीति पर हावी होने के लिए धानोरकर और विजय वडेट्टीवार में गुप्त लड़ाई चल रही है। इसका नतीजा था कृषि उपज मंडी समिति में गुटबाजी।

देवताले के खिलाफ कार्रवाई के चलते चंद्रपुर जिले में दो नेता वर्चस्व की लड़ाई में उलझ गए थे| इस चुनाव से पहले प्रदेश अध्यक्ष किसी भी चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करना चाहते हैं| साथ ही यह भी आदेश दिया गया कि संबंधित पक्षों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने पर उस पक्ष को लाभ पहुंचाने वाली कार्रवाई की जाएगी। उसके बाद भीभाजपा से गठबंधन किया|

इसलिए तत्काल निर्णय लेते हुए जिलाध्यक्ष को कार्यमुक्त कर दिया गया है। इस कार्रवाई से वडेट्टीवारों के साथ-साथ अन्य लोगों को भी झटका लगा। क्योंकि, कांग्रेस में इस तरह के दुस्साहस से मामले को निपटाने का रिवाज नहीं है। कई महीने बीत जाने के बाद भी पार्टी में कोई ठोस फैसला नहीं लेने का रिवाज है| तो जाहिर है, उनकी प्रतिक्रिया पार्टी में महसूस की गई थी। पार्टी के कई नेता निजी तौर पर पटोले के काम करने के तरीके को लेकर नाराजगी जताने लगे. जिलाध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई को लेकर पार्टी में प्रक्रिया तय हो चुकी है। ऐसे में मामला पहले अनुशासन समिति के पास जाना चाहिए था। उसके बाद पार्टी नेताओं के निर्देशानुसार उचित कार्रवाई की उम्मीद की जा रही थी। हालांकि इस मामले में ऐसा कुछ नहीं हुआ।
वडेट्टीवार को सांकेतिक संदेश देने के लिए  जिलाध्यक्ष को बर्खास्त कर दिया। इस कार्रवाई से वडेट्टीवारों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने सीधे तौर पर प्रदेश अध्यक्ष को निशाना बनाया। उन्होंने पटोले का नाम लिए बगैर तंज कसते हुए कहा कि अगर महाविकास अघाड़ी में एकता रखनी है तो सभी संभलकर बोलें। इतना ही नहीं क्षेत्रीय अध्यक्ष के अधिकार पर भी संदेह जताया। पटोले ने कहा कि वह वडेट्टीवार के बयान पर प्रतिक्रिया नहीं देंगे, वह इतने बड़े नेता नहीं हैं कि मैं प्रतिक्रिया दूं|इस तरह स्थानीय राजनीति में दबदबा कायम रखने के लिए एक-दूसरे का फायदा उठाकर कांग्रेस नेताओं ने एक बार फिर दिखा दिया है कि उनकी पकड़ मजबूत नहीं है|
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