Maratha Reservation: डेडलाइन पर बच्चू कडू का खुलासा! धरना स्थल पर चर्चा को लेकर कहा..!

राज्य सरकार की ओर से मराठा आरक्षण को लेकर सहमति बनने के बाद गुरुवार शाम को मनोज जारांगे पटल ने अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल खत्म कर दी। लेकिन वास्तव में किन शर्तों पर सहमति हुई? इसे लेकर अब असमंजस की स्थिति बनी हुई है| एक तरफ राज्य सरकार को 24 दिसंबर या 2 जनवरी की डेडलाइन दी गई थी? वहीं जब इसे लेकर असमंजस की स्थिति बनी तो क्या उन्होंने मराठा आरक्षण का वादा किया था या कुनबी रिकॉर्ड वालों को सर्टिफिकेट दिया था?

Maratha Reservation: डेडलाइन पर बच्चू कडू का खुलासा! धरना स्थल पर चर्चा को लेकर कहा..!

Maratha Reservation: Bachchu Kadu revealed on deadline! Said regarding the discussion at the protest site..!

राज्य सरकार की ओर से मराठा आरक्षण को लेकर सहमति बनने के बाद मनोज जारांगे पाटिल ने अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल खत्म कर दी। लेकिन वास्तव में किन शर्तों पर सहमति हुई? इसे लेकर अब असमंजस की स्थिति बनी हुई है| एक तरफ राज्य सरकार को 24 दिसंबर या 2 जनवरी की डेडलाइन दी गई थी? वहीं जब इसे लेकर असमंजस की स्थिति बनी तो क्या उन्होंने मराठा आरक्षण का वादा किया था या कुनबी रिकॉर्ड वालों को सर्टिफिकेट दिया था? इस संबंध में मनोज जारांगे पाटिल और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बयानों में विसंगति है| ऐसे में मौके पर मौजूद विधायक बच्चू कडू ने इस पर सफाई दी है|

मराठा आरक्षण की मांग को लेकर 25 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे मनोज जरांगे पाटिल से मिलने के लिए राज्य कैबिनेट का एक प्रतिनिधिमंडल इंटरवली सराती में दाखिल हुआ था| करीब 3 घंटे की चर्चा के बाद दोनों पक्ष सहमत हुए. तदनुसार, मनोज जरांगे पाटिल ने अपना अनशन वापस ले लिया। हालांकि, अब जरांगे पाटिल का कहना है कि फैसला लेने की डेडलाइन 24 दिसंबर दी गई है तो वहीं मुख्यमंत्री ने कहा है कि 2 जनवरी तक की डेडलाइन दी गई है| इस संबंध में मनोज जरांगे पाटिल ने भी कहा कि बच्चू कडू वहां मौजूद थे और वही सच बता सकते हैं| उसके बाद आख़िर वहां बच्चू कडू के साथ क्या हुआ? इस संबंध में खुलासा हुआ है|

क्या कहा बच्चू कडू ने?: बच्चू कडू ने बताया कि उन्होंने 24 दिसंबर की डेडलाइन दी थी। “विरोध स्थल पर 10 से 15 मुद्दों पर चर्चा हुई। इसके बाद सरकार के फैसले को लिखित रूप में संशोधित करना होगा| हमने तय किया कि चर्चा एक्सपर्ट कमेटी से करायी जाय| तो उनके साथ पूर्व जज गायकवाड़ और दो अन्य लोग भी थे| उसमें सब कुछ ठीक से लिखा हुआ था|अब सरकार इस पर कदम उठाएगी”, बच्चू कडू ने कड़वाहट से कहा।

बच्चू कडू ने कहा, ”75 साल तक सभी पार्टियों ने मराठों के साथ अन्याय किया है। इसलिए मराठाओं को अब किसी भी पार्टी पर भरोसा नहीं है| इसलिए मराठा समुदाय को लगता है कि अगर तारीख पर तारीख दी गई तो देरी होगी, आचार संहिता की जरूरत पड़ेगी या फिर सरकार ही नहीं रहेगी| 24 तारीख के अनुसार, सरकार को काम शुरू करना चाहिए।

’24 घंटे काम करें’:
इस बीच, बच्चू कडू ने सुझाव दिया है कि राज्य सरकार को 24 घंटे काम करना होगा। “दिन में 24 घंटे काम करना ज़रूरी है। मैं जारंग से कह रहा था कि हमें कम से कम 3 महीने लगेंगे। लेकिन मैं समझता हूं कि यह निर्णय जनवरी में लोकसभा की आचार संहिता पारित होने से पहले लिया जाना चाहिए।’ अगर उससे पहले फैसला नहीं लिया गया तो सत्ताधारी दलों के लिए एक बार फिर बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है| तब मराठों का कोई प्रकोप नहीं होगा।

बच्चू कडू ने भी उल्लेख किया छुट्टियों आदि के बीच कम से कम 20 दिन तो गुजरेंगे। इसलिए हम और समय मांग रहे थे| लेकिन यह फैसला आचार संहिता लागू होने से 10 दिन पहले लिया जाना चाहिए| सरकार को 15-20 दिन ठीक से काम करना चाहिए| बाद में उस समीक्षा को जारांगे पटलों के समक्ष रखा जाना चाहिए और उसके बाद सरकार को 10-15 दिनों के बाद तारीख बढ़ाने के लिए कहना चाहिए।

“मराठों को बैकलॉग के साथ सीटें दी जानी चाहिए”:
“75 वर्षों से मराठों के साथ गलत व्यवहार किया गया है। मैं कहता हूं कि उन्हें बैकलॉग वाली सीटें दी जानी चाहिए।’ महात्मा फुले ने कहा है कि मराठा अथरापगढ़ के तेली, माली, कुनबी, महार, धनगर आदि लोग हैं। अतः यह एक समूह के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द है। बच्चू कडू ने कहा फिर कुनबी नहीं तो मराठा कौन है? आपने कई जातियों को ओबीसी में डाल दिया|हमने साधारण राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफ़ारिश के बावजूद जातियों को ओबीसी में शामिल किया है। तो मराठाओं को इतना समय क्यों लग रहा है? इसलिए, सभी दलों ने जानबूझकर राजनीति खेली।

यह भी पढ़ें-

“हमें ऐसा प्रधानमंत्री चाहिए जो गंगा आरती करता हो …” 

Exit mobile version