देशमुख ​की तीखी प्रतिक्रिया, किसान मदद की बजाय ​सरकार विपक्ष पर नकेल कसने में व्यस्त​!

अनिल देशमुख ने सरकार से पूछा ये सवाल​ कि राज्य में बारिश और उसके बाद भारी बारिश और विभिन्न बीमारियों के प्रकोप के कारण कपास और सोयाबीन को भारी नुकसान हुआ है। पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने आलोचना की कि​, जब तत्काल मदद की जरूरत है तो सरकार विपक्षी दल पर नकेल कसने में व्यस्त है|

देशमुख ​की तीखी प्रतिक्रिया, किसान मदद की बजाय ​सरकार विपक्ष पर नकेल कसने में व्यस्त​!

Deshmukh's sharp reaction, instead of helping farmers, the government is busy cracking down on the opposition!

राज्य सरकार की समय लेने वाली नीति के कारण किसानों का दशहरा तो फीका हो गया, अब क्या वे दीवाली भी अंधेरे में जाने देंगे? अनिल देशमुख ने सरकार से पूछा ये सवाल​ कि राज्य में बारिश और उसके बाद भारी बारिश और विभिन्न बीमारियों के प्रकोप के कारण कपास और सोयाबीन को भारी नुकसान हुआ है। पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने आलोचना की कि​, जब तत्काल मदद की जरूरत है तो सरकार विपक्षी दल पर नकेल कसने में व्यस्त है|
अकेले यवतमाल जिले पर गौर करें तो लगभग 2 लाख किसानों को 204 करोड़ रुपये की सहायता मिलनी बाकी है|राज्य सरकार की समय लेने वाली नीति के कारण किसानों का दशहरा तो फीका हो गया, अब क्या वे दीवाली भी अंधेरे में जाने देंगे? पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि मोदी सरकार द्वारा कपड़ा उद्यमियों के लिए कपास सस्ता करने के लिए 11 प्रतिशत उत्पाद शुल्क माफ करने के बाद, विदेशों से बड़ी मात्रा में कपास भारत आने से देश में कपास की कीमत गिर गई और परिणामस्वरूप कपास उत्पादक यवतमाल जिले में 460 आत्महत्याएँ हुईं।
केंद्र सरकार की गलत आयात निर्यात नीति के कारण कपास की कीमतें गिरीं। इससे उत्पादन लागत भी नहीं निकल पाती है| दूसरी ओर, विभिन्न बीमारियों के कारण सोयाबीन का उत्पादन कम होने के बावजूद बाजार में सही कीमत नहीं मिल रही है। सरकार मदद की घोषणा तो करती है​, लेकिन किसानों के खाते में जमा नहीं होती|यह फसल बीमा लेने से भी नहीं मिलता है|इससे किसान पर कर्ज का बढ़ता जा रहा है। अनिल देशमुख ने आरोप लगाया है कि यवतमाल जिले में कर्ज के कारण बड़ी संख्या में किसान आत्महत्या कर रहे हैं​|
प्रदेश में कर्ज के कारण बड़ी संख्या में किसान आत्महत्या कर रहे हैं। अगर अकेले यवतमाल जिले पर गौर किया जाए तो साल 2022 में कुल 272 किसानों ने आत्महत्या की है|सितंबर 2023 तक 188 किसानों ने आत्महत्या की है। जब इतनी बड़ी संख्या में किसान आत्महत्या कर रहे हैं तो राज्य और केंद्र की भाजपा सरकार इस पर बात करने को तैयार नहीं है|
 
यह भी पढ़ें-

संजय राउत का गंभीर आरोप, ‘मनोज जरांगे के आंदोलन को ​​​कर रहे हैं ​कमजोर​ !

Exit mobile version