पुणे APMC चुनाव: इंदापुर में एनसीपी-भाजपा गठबंधन की जीत, शिवतारे को झटका !
एनसीपी और महाविकास अघाड़ी अपने गढ़ को बरकरार रखने में कामयाब हो गई है| नीरा कृषि उपज मंडी समिति में गठबंधन ने 18 सीटों पर जीत हासिल की है। विजय शिवतारे को तगड़ा झटका लगा है।
Team News Danka
Updated: Sat 29th April 2023, 04:31 PM
पुणे जिले की मार्केट कमेटी के नतीजे आ गए हैं। जहां भाजपा को झटका लगा है, वहीं एनसीपी और महाविकास अघाड़ी अपने गढ़ को बरकरार रखने में कामयाब हो गई है| नीरा कृषि उपज मंडी समिति में गठबंधन ने 18 सीटों पर जीत हासिल की है। विजय शिवतारे को तगड़ा झटका लगा है। इस चुनाव में सभी सीटों पर भाजपा और शिवसेना की हार हुई है और महाविकास अघाड़ी ने अपना गढ़ बरकरार रखा है| इसके उलट दौंड में एनसीपी को झटका लगा है और इंदापुर में एनसीपी-भाजपा गठबंधन ने बढ़त बना ली है|
पुरंदर तालुका और बारामती तालुका के 22 गांवों के अधिकार क्षेत्र वाली इस मार्केट कमेटी पर पूर्व में विपक्ष के नेता अजीत पवार और पुरंदर विधायक संजय जगताप का शासन था। इस बार भी वह अपनी सत्ता बरकरार रखने में कामयाब रहे। इस चुनाव में कुल 18 सीटों पर अग्रणी उम्मीदवार चुने गए हैं |
दौंड में NCP को झटका…: दौंड कृषि उपज मंडी समिति में NCP को बड़ा झटका लगा है|18 सीटों में से भाजपा ने नौ सीटों पर और एनसीपी ने नौ सीटों पर जीत हासिल की है| दौंड में ग्राम पंचायत श्रेणी में मजबूत दबदबा हासिल करने के बाद कुल समूह ने एनसीपी के गढ़ रहे समाज वर्ग में भी सेंध लगा दी है| ग्राम पंचायत व सोसायटी में भी दस सीटों पर भाजपा प्रत्याशी जीते थे। लेकिन एक स्थान पर दोबारा मतगणना के बाद थोराट गुट के प्रत्याशी की जीत हुई| इसलिए यहां कुल सीटों की स्थिति बराबर हो गई है।
एनसीपी के लिए यह बड़ा झटका है। हाल ही में सांसद संजय राउत ने दौंड तालुका के वरवंड में एक बड़ी सभा की थी| आरोप राहुल कुल की फैक्ट्री पर लगे थे। लेकिन एनसीपी इसे वोटों में बदलने में नाकाम रही|चुनाव के नतीजे आते ही बीजेपी का जोश बढ़ गया और कार्यकर्ताओं ने संजय राउत मुर्दाबाद के नारे लगाए |
इंदापुर में राकांपा-भाजपा गठबंधन जारी… : इंदापुर कृषि उपज मंडी समिति में किसान विकास पैनल आगे चल रहा है। इंदापुर में एनसीपी और भाजपा का गठबंधन था|शिवसेना ने उनके खिलाफ एक पैनल का गठन किया था। पहले चार सीटों पर चुनाव नहीं हुआ था। 18 में से 14 सीटों पर किसान विकास पैनल के सभी प्रत्याशी आगे चल रहे हैं|हालांकि, शिवसेना को पैनल गठित करना महंगा पड़ा और उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।