महाराष्ट्र में नगर परिषदों और नगर पंचायतों के चुनावों की मतगणना के शुरुआती रुझानों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और सत्तारूढ़ महायुति को स्पष्ट बढ़त मिलती दिख रही है। शनिवार (19 दिसंबर)को राज्य के 288 शहरी निकायों, नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों, में मतदान हुआ था, जिनके नतीजे आज सामने आ रहे हैं। इन चुनावों को केवल स्थानीय प्रशासन तक सीमित नहीं माना जा रहा, बल्कि शहरी इलाकों में सत्ता के प्रति मतदाताओं के रुझान और आगामी नगर निगम व विधानसभा चुनावों की दिशा तय करने वाली सियासी बुनियाद के रूप में देखा जा रहा है।
ताजा रुझानों के अनुसार नगर पालिका परिषद एवं नगर पंचायत चुनावों में बीजेपी ने 120 सीटों का आंकड़ा पार कर लिया है। अन्य दलों की स्थिति की बात करें तो शिवसेना को 42, कांग्रेस को 33, एनसीपी को 31, एनसीपी (एसपी) को 8 और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) को 6 सीटों पर बढ़त या जीत मिलती दिख रही है। वहीं अन्य दलों और निर्दलीयों के खाते में 13 सीटें जाती नजर आ रही हैं। गठबंधन के स्तर पर देखें तो महायुति को कुल 193 सीटों पर बढ़त मिली है, जबकि महाविकास आघाड़ी (एमवीए) 47 सीटों पर सिमटती दिख रही है।
शुरुआती रुझानों के सामने आते ही बीजेपी खेमे में उत्साह का माहौल है। भाजपा विधायक अमीत साटम ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “महायुति राज्य में 80 फीसदी से ज्यादा सीटें जीत रही है. नगर परिषद तो झांकी है, BMC अभी बाकी है।” उनके इस बयान को आने वाले बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है, जिन्हें जनवरी 2026 में प्रस्तावित माना जा रहा है।
इस चुनाव में कुल 6,859 उम्मीदवार मैदान में थे, जिन्होंने 288 नगर परिषदों और नगर पंचायतों की सीटों पर अपनी किस्मत आजमाई। चुनावी मुकाबला कई जगहों पर सीधे पार्टी बनाम पार्टी रहा, तो कई नगर परिषदों में स्थानीय प्रभावशाली नेताओं के बीच भी कड़ी टक्कर देखने को मिली। कुछ उम्मीदवार किसी दल के समर्थन से तो कुछ निर्दलीय रूप में मैदान में उतरे थे।
महाराष्ट्र के इस शहरी चुनाव में बीजेपी, कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना (शिंदे गुट), शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) और कई स्थानीय ताकतों की राजनीतिक परीक्षा हो रही है। जहां महायुति अपनी एकजुटता और संगठनात्मक मजबूती को साबित करने में जुटी है, वहीं एमवीए यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि शहरी मतदाता अभी भी उसके साथ खड़ा है। एमएनएस जैसी पार्टियों के लिए भी ये चुनाव शहरी इलाकों में अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता बनाए रखने के लिहाज से अहम माने जा रहे हैं।
मतगणना के अंतिम नतीजों के साथ यह और स्पष्ट होगा कि महाराष्ट्र की शहरी राजनीति किस दिशा में बढ़ रही है और आने वाले बड़े चुनावों के लिए किस दल या गठबंधन की स्थिति मजबूत होती नजर आ रही है।
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