महाराष्ट्र का सियासी माहौल: अनिल परब ने की राहुल नार्वेकर की आलोचना !

सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन पहले विधायकों की अयोग्यता को लेकर सुनवाई करने पर विधानसभा स्पीकर को सख्त लहजे में चेतावनी दी है| इसके बाद सुनवाई प्रक्रिया तेज हो गई है| हालांकि, विपक्ष ने सत्ताधारियों पर निशाना साधना शुरू कर दिया है| ठाकरे समूह के प्रवक्ता विधायक अनिल परब ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विधायक अयोग्यता के मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है|

महाराष्ट्र का सियासी माहौल: अनिल परब ने की राहुल नार्वेकर की आलोचना !

Political atmosphere in Maharashtra: Anil Parab criticized Rahul Narvekar!

संसद के दोनों सदनों में महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद दिल्ली में सियासी घटनाक्रम कुछ ठंडा पड़ गया है| बहरहाल, महाराष्ट्र में सियासी माहौल गरमाने लगा है| सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन पहले विधायकों की अयोग्यता को लेकर सुनवाई करने पर विधानसभा स्पीकर को सख्त लहजे में चेतावनी दी है| इसके बाद सुनवाई प्रक्रिया तेज हो गई है| हालांकि, विपक्ष ने सत्ताधारियों पर निशाना साधना शुरू कर दिया है| ठाकरे समूह के प्रवक्ता विधायक अनिल परब ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विधायक अयोग्यता के मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है|
‘विधानसभा के विधायक भी होंगे अयोग्य’ फैसले के बाद विधानसभा के 16 विधायक भी अयोग्य हो जायेंगे, लेकिन जैसा कि हमने कहा, उच्च सदन में तीन विधायक भी अयोग्य घोषित किए जाएंगे, अनिल परब ने इस समय कहा।

”अब बच नहीं सकते”: इस बीच, इस मौके पर बोलते हुए अनिल परब ने सुप्रीम कोर्ट की आक्रामक टिप्पणी के बाद राज्य में हो रहे आंदोलन पर प्रतिक्रिया दी है, “जब सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाता है, तो सुनवाई शुरू होती है। अभी सुनवाई शुरू नहीं हुई है| केवल पहले नोटिस जारी किए गए थे| अनिल परब ने कहा कि उन्होंने चतुराईपूर्ण कारण बताकर समय बर्बाद कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्पष्ट रुख अपनाया है। एक सप्ताह के भीतर सुनवाई के बाद इस संबंध में शेड्यूल दिया जाना है। तो अब किसी के लिए बचने का कोई रास्ता नहीं है| उन्हें निर्णय लेना होगा”, अनिल परब ने कहा।

“विधान परिषद में भी सत्तारूढ़ दल”: अनिल परब ने कहा कि विधानसभा की तरह सत्ता पक्ष भी ऊहापोह की स्थिति में है| उन्होंने विधान परिषद में भी गड़बड़ी की है| मैंने कहा कि अध्यक्ष या उपाध्यक्ष अयोग्यता की सुनवाई करते हैं। लेकिन उपसभापति के खिलाफ अयोग्यता याचिका है| वह किसकी सुनेगा? तब कहा गया था कि सरकार इस संबंध में एक वरिष्ठ सदस्य की नियुक्ति करेगी, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ| सरकार ने सदन को आश्वासन दिया है कि एक वरिष्ठ सदस्य की नियुक्ति की जाएगी, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई| इसलिए अदालत ही बचा है ही हमारे मैचों के लिए एकमात्र विकल्प है।

तत्कालीन अनुसूची अध्यक्ष निरंजन डावखरे ने निर्णय लिया कि अध्यक्ष मनीषा कायंदे, बिप्लव बाजोरिया की याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे। लेकिन अब इन सभी चीजों को चुनौती दी जाएगी| परब ने यह भी कहा, ‘अगर वे अधिक देरी करेंगे तो उच्च सदन को वही मिलेगा जो निचले सदन को मिला है।’
 
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