सुप्रीम कोर्ट में पिछले कुछ दिनों से राज्य में सत्ता संघर्ष चल रहा है|कल हुई सुनवाई के दौरान शिंदे समूह के वकील हरीश साल्वे ने बहस की। आज राज्यपाल की ओर से तुषार मेहता ने पक्ष रखा|इस बीच इस मौके पर चीफ जस्टिस ने तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा लिए गए कुछ फैसलों की कड़ी आलोचना की|
जब विधायकों ने जनमत संग्रह के लिए एक पत्र लिखा तब आप तीन साल तक खुशी से कैसे रहे और अचानक रातों रात आपको एहसास हुआ कि अंतर था? यह सवाल उन्होंने तुषार मेहता से भी किया। चीफ जस्टिस ने कहा कि राज्यपाल को ऐसा सवाल उन विधायकों से पूछना चाहिए था|साथ ही क्या राज्यपाल यह कह सकते हैं कि केवल विधायकों के पत्र के आधार पर ही बहुमत परीक्षण का सामना करें?
महाराष्ट्र राजनीतिक रूप से परिष्कृत राज्य है। इस तरह की बात राज्य पर कलंक ला रही है। सुप्रीम कोर्ट के तौर पर हम इन सभी चीजों को लेकर चिंतित हैं। राज्यपाल ने दो बातों पर ध्यान नहीं दिया। एक ओर कांग्रेस और राष्ट्रवादियों में कोई भेद नहीं था। इनके पास मिलाकर 97 विधायक हैं। यह भी एक बहुत बड़ा समूह था। शिवसेना के 56 में से 34 विधायकों ने अविश्वास जताया।
CJI DY Chandrachud: Ultimately whoever fails, whoever succeeds is a separate issue. But this is our concern.#SupremeCourtOfIndia #ShivSenaCrisis
— Live Law (@LiveLawIndia) March 15, 2023
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