महाराष्ट्र में सत्ता संघर्ष पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के समक्ष सुनवाई चल रही है | ठाकरे समूह और शिंदे समूह के बीच तीखी नोकझोंक हो रही है| वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने 2018 के विभिन्न दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि विधायकों ने खुद एक बैठक में उद्धव ठाकरे को पार्टी संभालने का फैसला दिया था|
यह भी उल्लेख किया गया था कि विधायक दल यह तय नहीं कर सकता कि विधानमंडल में किसे वोट देना है, लेकिन मुख्य प्रतोदा को पार्टी के निर्देश के अनुसार व्हिप बनाना होता है। इसे पुष्ट करने के लिए, वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने 2011 में लोकपाल विधेयक के साथ जो हुआ उसका एक उदाहरण दिया।
अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी : सिंघवी ने कहा “लोकपाल विधेयक पेश किए जाने के समय हुई घटना से पता चलता है कि पार्टी कैसे काम करती है। मैं 2011 में संसदीय समिति का प्रमुख था। रिपोर्ट को 31 सदस्यीय समिति में से तीन को छोड़कर सभी ने समर्थन दिया था। इस पर 17 राजनीतिक दलों ने हस्ताक्षर किए थे।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा की जब ये विधायक राज्यसभा गए, तो सभी ने बिल का समर्थन किया, क्योंकि उन्होंने रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किए थे। हालांकि, एक पार्टी ने रातों-रात अपना रुख बदल लिया और रिपोर्ट के समर्थन में हस्ताक्षर करते हुए लोकसभा में बिल का विरोध किया। उन्होंने लोकपाल विधेयक का भी विरोध किया। यह संसद के रिकॉर्ड में है। यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि पार्टी तय करती है कि किस बिल पर क्या स्थिति लेनी चाहिए|
आख़िर क्या कहा कपिल सिब्बल ने?: कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया कि असम में बैठे 40 विधायकों ने खुद को पार्टी घोषित कर रखा है| साथ ही बाकी सभी को पार्टी से निकालने का फैसला किया है। यदि विधायक मतदान के समय उपस्थित नहीं होते हैं या मतदान नहीं करते हैं, तो यह पार्टी के खिलाफ होगा। राजनीतिक दल इसी तरह काम करते हैं। पार्टी व्हिप के संबंध में निर्देश देती है, इसे व्यक्तिगत रूप से नहीं लिया जा सकता है। इसके अनुसार, विधायक तय करते हैं कि किसे वोट देना है|
कपिल सिब्बल ने आगे कहा, ‘विधायिका में किसी दल को अगर स्वतंत्र रूप से काम करने का अधिकार मिल जाता है तो यह लोकतंत्र और देश के लिए बहुत बड़ा संकट होगा| अगर ऐसा होता है तो चुनी हुई सरकार को कभी भी गणितीय हिसाब से गिराया जा सकता है|
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