विधान सभा की बैठक में अजित पवार द्वारा ”विपक्ष के नेता को विधानसभा अध्यक्ष पद से हटाएं” जाने की गुहार लगाने के बाद दबी जुबान से चर्चा है कि एनसीपी में बदलाव हो रही है| इसी के चलते शिंदे गुट के विधायक संजय शिरसाट ने एक बार फिर अजित पवार को लेकर बड़ी टिप्पणी की है|
संजय शिरसाट ने कहा कि ”अजित पवार मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं| वे अपनी ही सभाओं में गुहार लगाते हैं कि मुझे नेता प्रतिपक्ष का पद नहीं चाहिए, मुझे पार्टी की जिम्मेदारी दे दीजिए, जब उन्होंने यह मांग की तो सभी कार्यकर्ताओं ने दिल खोलकर तालियां बजाईं| कार्यकर्ताओं का यह भी मानना है कि अगर एनसीपी को आगे बढ़ाने का काम कोई करेगा तो वह अजित पवार ही होंगे| लेकिन मुझे नहीं लगता कि अजित पवार को जिम्मेदारी देंगे| कुछ लोग अपनी पार्टी को अजित दादा के हाथ में देना पसंद नहीं करेंगे| स्नेह और सम्मान दिखाना वास्तव में (अजित पवार) के खिलाफ काम करता है”, संजय शिरसाट ने कहा।
उन्होंने कहा, ”एनसीपी के कुछ नेता अजित पवार को प्रमुख बनाने का जोखिम नहीं उठा सकते। इसलिए उन्हें छोड़ा नहीं जाए| पिछली बार उन्हें मुख्यमंत्री का पद मिलने वाला था| लेकिन उन्होंने इसे कांग्रेस के गले डाल दिया| अगर वे मुख्यमंत्री बन जाते तो क्या होता? अगर उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना दिया होता तो क्या होता? कौन सा आसमान ढहने वाला था? लेकिन नहीं, अगर उनकी (एकनाथ शिंदे की) छवि बढ़ी तो हमें झटका लगेगा, यही रुख अजित दादा के प्रति एनसीपी में ठाकरे ने अपनाया है|
”महाराष्ट्र को सुबह पता चला कि किसके कहने पर शपथ ली गई| यानी बलि का बकरा बनाते-बनाते अजितदादा मिल जाते हैं. जो लोग शपथ ग्रहण समारोह में थे, वे सब कैबिनेट में कैसे आ गये? मेरा मतलब है, उन्हें पुरस्कृत किया गया। अजित दादा बलिदान देते समय और जब देने का समय आता है तो विद्रोह कर देते हैं। यह भूमिका उद्धव ठाकरे समूह के पास है| संजय शिरसाट ने यह भी कहा कि अजित दादा के मामले में ऐसा विद्रोह होगा|
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