महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में आ गया है। दावा किया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कभी भी फैसला सुना सकता है। इसलिए सभी का ध्यान मुख्य रूप से 16 विधायकों की अयोग्यता को लेकर कोर्ट के फैसले पर केंद्रित है| क्योंकि, इसी पर महाराष्ट्र सरकार का भविष्य टिका है। इस पर ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर की आलोचना की।
उन्होंने कहा है कि भाजपा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है|साथ ही संजय राउत ने यह सवाल भी पूछा है कि राहुल नार्वेकर कैसे कह सकते हैं कि अपात्रता का मामला मेरे पास आएगा| इन तमाम सवालों के जवाब राहुल नार्वेकर ने विस्तार से दिए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि संजय राउत का कानून का न्याय बहुत ही तुच्छ है। अनुच्छेद 181 स्पष्ट रूप से प्रदान करता है कि जब विधान सभा के अध्यक्ष का पद रिक्त होता है या पद रिक्त होता है, तो सभी शक्तियाँ उपसभापति को सौंपी जाती हैं। यदि कोई उप-राष्ट्रपति नहीं है, तो वे शक्तियाँ विधानमंडल द्वारा चुने गए व्यक्ति के पास चली जाती हैं।
अतः अब जब विधान सभा अध्यक्ष का पद रिक्त नहीं है, विधान सभा अध्यक्ष कार्यरत है, ऐसे में समस्त शक्तियाँ अध्यक्ष के पास हैं। शायद संविधान के अध्ययन की कमी, प्रावधानों को न पढ़ना संजय राउत इस तरह के गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं|आज मीडिया से बातचीत करते हुए राहुल नार्वेकर ने कहा कि माफ कर देना चाहिए|
संजय राउत ने दावा किया कि राष्ट्रपति सत्ता हड़प रहे हैं। लेकिन, राष्ट्रपति केवल संविधान के प्रावधानों की जानकारी हम तक पहुंचा रहे हैं। कानून मंत्री किरेन रिजिजू किसी जरूरी काम से मुंबई आए हुए थे। चूंकि वह और मैं पुराने परिचित हैं, इसलिए मैंने उन्हें विधान भवन में आमंत्रित किया। अपने व्यस्त कार्यक्रम से भी उन्होंने कुछ समय विधान भवन के लिए निकाला। राहुल नार्वेकर ने कहा कि राउत इस यात्रा को एक अलग अर्थ देने और इसे एक राजनीतिक आकार देने की कोशिश कर रहे हैं|
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