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Monday, November 25, 2024
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पश्चिमी जिलों को स्थायी रूप से सत्ता में मौजूद तीनों दलों या समूहों ने नजरअंदाज किया ?

तीनों जिलों के प्रतिनिधि और मतदाता प्रमुख राजनीतिक दलों के माने जाते हैं। हालांकि वरिष्ठ नेता सत्ता में मौजूद विधायकों का समर्थन हासिल करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे उन्हें जन प्रतिनिधियों को मंत्री पद देने के बारे में नहीं सोच रहे हैं|

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पश्चिमी वर्धा में अकोला, वाशिम और बुलढाणा जिलों को राज्य मंत्रालय द्वारा स्थायी रूप से हटा दिया गया है। इस क्षेत्र में कई दावेदार मंत्री बनने के लिए घुटने टेकने को तैयार हैं|सत्ता में मौजूद तीनों दलों या समूहों ने इसे नजरअंदाज कर दिया। पश्चिम विदर्भ को राज्य मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिलना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है| पश्चिम वर्धा एक ऐसा क्षेत्र है जिसे हमेशा सरकार द्वारा उपेक्षित किया गया है। इस क्षेत्र में प्रश्न और समस्याएँ वर्षों से बनी हुई हैं। विकास की दृष्टि से पिछड़े इस क्षेत्र में मंत्री पदों का लगातार अकाल बना रहा। तीनों जिलों के प्रतिनिधि और मतदाता प्रमुख राजनीतिक दलों के माने जाते हैं। हालांकि वरिष्ठ नेता सत्ता में मौजूद विधायकों का समर्थन हासिल करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे उन्हें जन प्रतिनिधियों को मंत्री पद देने के बारे में नहीं सोच रहे हैं|

मंत्री पद मिलने के बाद भी ऐसा कभी नहीं हुआ कि इन तीन जिलों के विकास कार्यों पर उनका कोई बड़ा प्रभाव रहा हो| इसलिए जिले को मंत्री पद मिले या न मिले, इससे आम मतदाताओं को कोई फायदा नहीं है| बहरहाल, जन प्रतिनिधियों के बीच काफी अंदरूनी कलह है, यह तो तय है| पश्चिम वर्धा विधानसभा के 15 निर्वाचन क्षेत्र हैं। इनमें से किसी भी विधायक को शिंदे सरकार में मंत्री पद नहीं मिला है|अकोला जिला भाजपा का गढ़ माना जाता है| जिले के पांच विधानसभा क्षेत्रों में से चार पर वर्षों से भाजपा का झंडा लहरा रहा है। विधानसभा में जिले का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ भाजपा विधायक गोवर्धन शर्मा, रणधीर सावरकर, हरीश पिंपले और प्रकाश भारसाकाले हैं।

इनमें से विधायक रणधीर सावरकर का नाम मंत्री पद के लिए प्राथमिकता पर था| भाजपा ने उन्हें विधायक दल व्हिप और पार्टी के प्रदेश महासचिव का पद दिया| ऐसे में जिले को भाजपा कोटे से मंत्री पद मिलने की उम्मीद पर पानी फिर गया। जिले को शिंदे गुट या एनसीपी गुट से मंत्री पद मिलने की दूर-दूर तक संभावना नहीं है| वाशिम जिले में भी भाजपा के दो विधायक हैं और इनमें विधायक राजेंद्र पाटनी का नाम अंतरिम मंत्री पद के लिए चर्चा में था| हालांकि, उन्हें मौका नहीं मिला|

बुलढाणा को पिछले वर्ष से पश्चिम वर्धा से जिला मंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। राज्य में वर्तमान में सत्ता में मौजूद तीन दलों के जिला प्रतिनिधि मंत्री पद के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। एकनाथ शिंदे की बगावत में सूरत, गुवाहाटी से बुलढाणा जिले के शिवसेना विधायक संजय रायमुलकर और संजय गायकवाड उनके साथ हैं। इसलिए कयास लगाया जा रहा था कि शिंदे गुट के हिस्से से जिले से कम से कम एक विधायक को मंत्री बनाया जाएगा| यही दावा अभ्यर्थियों ने भी किया। एकनाथ शिंदे ने शपथ ली, उस वक्त मौका नहीं दिया| इसके बाद मंत्रिमंडल विस्तार पर ध्यान दिया गया|

अभी तक हुए मंत्रिमंडल विस्तार में भी शिंदे गुट की ओर से संजय रायमुलकर या संजय गायकवाड को मंत्री पद देने पर कोई विचार नहीं किया गया है| बुलढाणा से सांसद प्रतापराव जाधव भी शिंदे गुट में हैं और उन्हें केंद्र में मंत्री पद मिलने की चर्चा है, लेकिन, वह भी अब तक नहीं मिला है| अब राज्य में अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी का एक बड़ा समूह सत्ता में आ गया |उनके साथ सिंदखेड राजा के एनसीपी विधायक और पूर्व मंत्री. राजेंद्र शिंगणे चले गए|

एनसीपी के कोटे से डाॅ. राजनीतिक गलियारों में शिंगाने को मंत्री पद मिलने की चर्चा है|इससे जिले में शिवसेना शिंदे गुट की ओर से गहरी नाराजगी व्यक्त की जा रही है, जो पहले से ही मंत्री पद नहीं मिलने से अंदरुनी उथल-पुथल में है| जिले में भाजपा के भी तीन विधायक हैं। पूर्व मंत्री डाॅ. सबसे पहले संजय कुटे का नाम चर्चा में था| हालांकि, पार्टी ने उन्हें मंत्री पद की जिम्मेदारी नहीं दी है और मिलने की संभावना भी कम है|

सत्ताधारी विधायकों में मतभेद : बुलढाणा जिले में सत्ताधारी विधायकों के बीच गहरा मतभेद होने की बात सामने आई है| जिले में शिंदे गुट के विधायकों को जहां अब डॉ. अजित पवार गुट के मंत्री पद का इंतजार है। प्रतियोगिता में राजेंद्र शिंगणे भी आए हैं| मंत्री पद के लिए विधायकों में जबरदस्त मारामारी है| डॉ. शिंदे गुट के विधायक संजय गायकवाड़ ने शिंगाने की संभावित संरक्षकता का विरोध किया| इसके अलावा बुलढाणा में कृषि महाविद्यालय। उन्होंने भाऊसाहेब फुंडकर का नाम रखे जाने का भी विरोध किया है|

पश्चिम विदर्भ में पार्टी की ताकत

भाजपा- 09
कांग्रेस- 02
शिव सेना (शिंदे गुट) – 02
शिव सेना (ठाकरे समूह) – 01
एनसीपी (अजित पवार ग्रुप) – 01
कुल विधायक- 15

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