मराठा आरक्षण की लड़ाई को मनोज जरांगे ने उठाया है| कुछ दिन पहले उन्होंने अनशन भी किया था, लेकिन शंभूराज देसाई से चर्चा के बाद उन्होंने अनशन खत्म कर दिया| मनोज जरांगे पिछले एक साल से संघर्ष कर रहे हैं| मनोज जरांगे मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं| वह अब तक तीन से चार बार भूख हड़ताल भी कर चुके हैं| जरांगे उस घटना के बाद सुर्खियों में आये थे जब इंटरवली सराती में मराठा प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया गया था|
भुजबल और जरांगे के बीच तीखी तकरार: मराठाओं को आरक्षण देना है तो अलग से दें|छगन भुजबल ने कहा है कि ओबीसी आरक्षण से आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए| इसके लिए उन्होंने ओबीसी की बैठकें भी कीं| इन दोनों के बीच आरोप-प्रत्यारोप के दौर भी चले। ऐसे में बच्चू कडू ने कहा है कि इन दोनों नेताओं को एक साथ आना चाहिए| बच्चू कडू ने भी बयान दिया है कि महाराष्ट्र को शांत रहना चाहिए| दोनों ने एक दूसरे की कड़ी आलोचना की थी|
इस मौके पर छगन भुजबल ने पूछा कि क्या मनोज जरांगे प्रधानमंत्री मोदी से भी बड़े हो गये हैं? ये सवाल भी पूछा गया | महाराष्ट्र ने इन दोनों का चरम संघर्ष देखा है| ऐसे में बच्चू कडू ने दोनों से एक होने की अपील की है| बच्चू कडू ने यह भी कहा है कि वह जल्द ही मनोज जरांगे और छगन भुजबल से मिलेंगे|
बच्चू कडू ने वास्तव में क्या कहा?: कुनबी, ओबीसी विवाद का समाधान होना चाहिए। मराठवाड़ा में एक मराठा कुनबी है। कोंकण के मराठों ने हाथ खड़े कर दिए हैं| उन्होंने हमसे मराठा होने के नाते आरक्षण मांगा है।’ यह सच है कि मराठा समाज को कुनबी यानी ओबीसी में शामिल करने के बाद अन्य ओबीसी में डर पैदा हो गया है| इस डर को दूर करने के लिए छगन भुजबल और मनोज जरांगे को एकजुट होकर दिल्ली के सामने लड़ना चाहिए| मैं इसके लिए छगन भुजबल और मनोज जरांगे दोनों से मिलूंगा।
क्या बच्चू कडू सुनेंगे उनकी अपील?: बच्चू कडू ने मनोज जरांगे और छगन भुजबल दोनों से महाराष्ट्र को शांतिपूर्ण बनाए रखने की अपील की है। बच्चू कडू से मुलाकात के बाद छगन भुजबल और मनोज जरांगे क्या भूमिका निभाएंगे? यह निश्चित रूप से देखना महत्वपूर्ण होगा।
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