मराठा आरक्षण: राष्ट्रीय ओबीसी छात्र महासंघ हुआ आक्रामक! 

नेशनल ओबीसी स्टूडेंट फेडरेशन ने चेतावनी दी है कि मराठा समुदाय को ओबीसी श्रेणी से आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए, अन्यथा ओबीसी भाई सड़कों पर उतरेंगे और इस अन्यायपूर्ण निर्णय के खिलाफ विरोध करेंगे और उन सभी पार्टियों के खिलाफ मतदान करेंगे जो ओबीसी विरोधी रुख अपनाते हैं। आगामी चुनावों में रुख|

मराठा आरक्षण: राष्ट्रीय ओबीसी छात्र महासंघ हुआ आक्रामक! 

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हम मराठा समुदाय के आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं| हालाँकि, नेशनल ओबीसी स्टूडेंट फेडरेशन ने चेतावनी दी है कि मराठा समुदाय को ओबीसी श्रेणी से आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए, अन्यथा ओबीसी भाई सड़कों पर उतरेंगे और इस अन्यायपूर्ण निर्णय के खिलाफ विरोध करेंगे और उन सभी पार्टियों के खिलाफ मतदान करेंगे जो ओबीसी विरोधी रुख अपनाते हैं। आगामी चुनावों में रुख|

जालना जिले के अंतरवाली सराटे (थाना अंबाद) गांव में मराठा कार्यकर्ता आरक्षण की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे हैं| 2 सितंबर 2023 को पुलिस ने उस स्थान पर मौजूद भीड़ पर लाठीचार्ज किया| हम इसकी निंदा करते हैं| मराठा समुदाय 1993 से आरक्षण की मांग कर रहा है,लेकिन पिछड़ेपन की कसौटी पर खरा नहीं उतरने के कारण इसे ले लें। खत्री और न्या, बापट आयोग ने उन्हें आरक्षण देने से इनकार कर दिया था| नारायण राणे समिति की 2012 की रिपोर्ट को उच्च न्यायालय ने असंवैधानिक करार देते हुए रोक लगा दी थी।

मराठा समुदाय के लिए 12 प्रतिशत (शिक्षा) और 13 प्रतिशत (नौकरी) आरक्षण की न्या.  गायकवाड़ आयोग की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट में टिक नहीं पाई। संविधान के अनुच्छेद 15(4) और अनुच्छेद 16(4) के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि असाधारण परिस्थितियों के आधार पर भी इस समुदाय को 50% से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता है।

अतः यह सिद्ध हो चुका है कि मराठा समाज सामाजिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़ा नहीं है। फिर भी अगर राज्य सरकार आंदोलन के दबाव में मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देती है और ओबीसी से आरक्षण देने की कोशिश करती है, तो यह ओबीसी के साथ अन्याय होगा। बेशक, हम मराठा समुदाय को आरक्षण देने के खिलाफ नहीं हैं। इन्हें ओपन ग्रुप से ईडब्ल्यूएस में आरक्षण मिल रहा है|

इसे बढ़ाया जाना चाहिए या यदि आवश्यक समझा जाए तो संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए और ओबीसी वर्ग को बाहर कर एक अलग वर्ग बनाकर उन्हें आरक्षण दिया जाना चाहिए। राज्य में ओबीसी और मराठा समुदाय की सटीक आबादी कोई नहीं बता सकता| केवल अनुमान के आधार पर किसी प्रजाति की जनसंख्या बिल्कुल भी विश्वसनीय नहीं है। मराठा समुदाय की जनसांख्यिकी के बारे में अस्पष्टता है।

ओबीसी कई वर्षों से जातिवार जनगणना की मांग कर रहे हैं। मराठा समुदाय को भी जातिवार जनगणना की मांग करनी चाहिए| राज्य सरकार को कुछ मराठा नेताओं के दबाव में आकर मराठा समुदाय को ओबीसी से आरक्षण देने में असंवैधानिक जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। मराठा जाति को किसी भी हालत में ओबीसी नहीं किया जाना चाहिए| उन्हें कुनबी जाति प्रमाण पत्र नहीं दिया जाये|
राष्ट्रीय ओबीसी छात्र महासंघ के जिला अध्यक्ष रवि टोंगे, बाजार समिति चंद्रपुर के निदेशक गणेश अवारी, प्रकाश शेंडे, रंगराव पवार, अभिषेक मोहुरले, दीपक पिपलशेंडे ने चेतावनी दी कि यदि ऐसा अन्यायपूर्ण निर्णय लिया गया, तो ओबीसी पूरे क्षेत्र में सड़कों पर उतरेंगे। आगामी चुनावों में ओबीसी विरोधी रुख अपनाने वाली सभी पार्टियों के खिलाफ मतदान करें। रोहित मोहुर्ले, प्रकाश चललकर, प्रदीप वैरागडे, वैभव सिरसगर द्वारा प्रदान किया गया। रेजिडेंट कलेक्टर कुंभारे को एक बयान दिया गया है|

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