प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में शुरू की गई प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) योजना ने भारत को अब तक ₹3.48 लाख करोड़ की भारी बचत दिलाई है। एक नई स्टडी के अनुसार, इस सिस्टम के जरिए अब तक ₹3.48 लाख करोड़ की बचत हो चुकी है। लीकेज कम करने के लिए पैसा सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजे जाने की व्यवस्था ने सरकारी खर्च को ज्यादा कुशल और सटीक बना दिया है।
DBT के तहत पैसा सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजा जाता है, जिससे बिचौलियों और भ्रष्टाचार की गुंजाइश खत्म हो गई है। नतीजतन सब्सिडी खर्च कुल व्यय का 16% से घटकर 9% रह गया है।
स्टडी के मुताबिक, लाभार्थी कवरेज 11 करोड़ से बढ़कर 176 करोड़ पहुंच गया है — यानी 16 गुना इजाफा। साथ ही, वेलफेयर एफिसिएंसी इंडेक्स भी 2014 में 0.32 से बढ़कर 2023 में 0.91 तक पहुंच गया है, जो DBT की दक्षता को दर्शाता है। स्टडी में कहा गया है, “डीबीटी ने लीकेज पर अंकुश लगाने और ट्रांसपेरेंसी को बढ़ावा देने के साथ फंड वितरण को लेकर सटीकता सुनिश्चित की है। इसी के साथ डीबीटी के साथ कल्याणकारी वितरण को दोबारा परिभाषित किया गया है।”
स्टडी में बताया गया है कि फूड सब्सिडी से 53% बचत हुई, जबकि MGNREGS और पीएम-किसान जैसे कार्यक्रमों में ₹22,106 करोड़ की बचत सिर्फ समय पर भुगतान से हुई। आधार-लिंक्ड ऑथेंटिकेशन की मदद से फर्जी लाभार्थियों की संख्या घटाई गई, जिससे बिना अतिरिक्त खर्च के ही कवरेज का दायरा बढ़ाया जा सका।
रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि DBT में AI-ड्रिवन फ्रॉड डिटेक्शन जोड़ा जाए और ग्रामीण-अर्धशहरी बैंकिंग पहुंच को और मजबूत किया जाए। मोदी सरकार की इस पहल ने भारत के वेलफेयर सिस्टम को डिजिटल, पारदर्शी और जन-केंद्रित बना दिया है, जिससे करोड़ों लोगों को सीधा लाभ मिल रहा है और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।
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