अडानी-हिंडनबर्ग विवाद मामले को लेकर कांग्रेस सहित सभी विरोधी दल आक्रामक है। सदन से लेकर सड़क तक विरोध हो रहा है। हर जगह गौतम अडानी की बात होने लगी। संसद ठप हो गई। राहुल गांधी बरसे। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल केंद्र सरकार पर हमलावर हो गए। लेकिन इन विवादों पर पवार खामोश रहे।
वहीं अब सियासी गलियों में एनसीपी प्रमुख शरद पवार के बदलते रुख की चर्चा है। दरअसल पवार ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट से बनाए गए नैरटिव की आलोचना की। शरद पवार ने कहा कि ऐसा लगता है, इस मामले में एक इंडस्ट्रियल ग्रुप को टारगेट किया गया है, लेकिन जेपीसी बनाने से मामला नहीं सुलझेगा, बल्कि सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से ही सच्चाई देश के सामने आएगी। विपक्ष ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को आवश्यकता से अधिक महत्व दिया, जबकि इस फर्म का बैकग्राउंड किसी को भी नहीं पता। हमने तो इनका नाम तक नहीं सुना है।
पवार ने अडानी समूह की तुलना टाटा-बिरला से करते हुए कहा कि जब हम राजनीति में आए थे, तब सरकार पर हमला करने के लिए टाटा-बिरला पर हमले करते थे। बाद में पता चला कि टाटा का इस देश में कितना योगदान है। आज-कल टाटा-बिरला की जगह अडानी-अंबानी पर हमला किया जा रहा है, जबकि बिजली क्षेत्र में अडानी का अहम योगदान है और पेट्रोकेमिकल सेक्टर में अंबानी का योगदान है। इसलिए इनकी अलोचना मुझे ठीक नहीं लगती।
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