मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की बालासाहेब शिवसेना पार्टी का नाम धनुष्यबान और शिवसेना पड़ा। चुनाव आयोग ने शिंदे को शिवसेना का नाम और धनुष-बाण का प्रतीक चिन्ह दिया। इस पर शरद पवार ने कहा कि परिणाम पर चर्चा नहीं की जा सकती| चिन्ह लंबे समय तक नहीं रहता है। चुनाव आयोग ने फैसला सुनाया है। शिवसेना का संविधान अलोकतांत्रिक है.. उद्धव ठाकरे पार्टी में तानाशाही लेकर आए। ठाकरे के पास बहुमत नहीं है।
उद्धव ठाकरे का आरोप है कि आयोग ने दबाव में आकर यह फैसला किया है, लेकिन पवार फैसले की खूबियों पर चुप हैं। इसके उलट शरद पवार ने कांग्रेस का उदाहरण दिया| उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हाथ लिया, लोगों ने मान लिया। लोग नए चिन्ह को स्वीकार करेंगे।
देवेंद्र फडणवीस ने सुबह के शपथ समारोह को पहला सबसे बड़ा कार्यक्रम बताकर राज्य की राजनीति में सनसनी मचा दी है| अजित पवार के साथ शपथ समारोह राकांपा अध्यक्ष शरद पवार की सहमति से किया गया था| उससे पहले एनसीपी की प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा था कि सुबह के शपथ ग्रहण के पीछे शरद पवार का हाथ हो सकता है| इनमें से किसी पर भी पवार सीधे तौर पर कुछ नहीं कहते। शरद पवार भी बोलते हैं तो खबर होती है। पवार नहीं बोले,इस पर तरह-तरह की दलीलें दी जा रही हैं।
“मैं गोमांस खाता हूं, यह हमारी संस्कृति है …!” - मेघालय भाजपा अध्यक्ष