12 जून को पटना में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में कांग्रेस की ओर से न राहुल गांधी और न ही मल्लिकार्जुन शामिल होंगे। किसी कांग्रेस शासित प्रतिनिधि के भी इस बैठक में शामिल होने पर संशय बना हुआ है। ऐसा कहा जा रहा है कि इस बैठक से कांग्रेस किनारा करने का मन बनाया है। इस संबध में कांग्रेस ने आधिकारिक यह जानकारी दी है कि इसमें न राहुल गांधी या मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल नह होंगे। गौरतलब अमेरिका दौरे पर राहुल गांधी ने दावा किया था कि 2024 का लोकसभा चुनाव चौंकाने वाला होगा। और विपक्ष इस पर अच्छा काम कर रहा है। एक राहुल विपक्ष की तारीफ़ कर रहे हैं और दूसरी ओर इससे दूरियां बना रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर कांग्रेस विपक्षी दलों की बैठक में शामिल होने से क्यों कतरा रही है। आखिर माजरा क्या है ?ऐसी कौन सी वजह है कि इस बैठक पर कांग्रेस मुखर नहीं है ? क्या कांग्रेस कोई अंदर खाने से रणनीति बना रही है।
12 जून को विपक्षी दलों की बैठक: गौरतलब है कि बिहार की राजधानी पटना में 12 जून को विपक्षी दलों की बैठक होनी है। यह बैठक 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी राजनीति दलों के मसौदा और आगे की रणनीति पर चर्चा के लिए बुलाई गई है। पहले यह बैठक दिल्ली में होने वाली थी, लेकिन बाद में इसे पटना शिफ्ट कर दिया गया। सबसे बड़ी बात यह है कि कांग्रेस ने इस बैठक की तारीख को आगे बढ़ाने की भी मांग की थी,मगर विपक्ष के दलों ने कांग्रेस की बात मानने से इंकार कर दिया। उनका कहना था कि विपक्षी पार्टियों को यह पहली बैठक है अगर इसकी तारीख आगे बढ़ाई गई तो लोगों में गलत संदेश जाएगा। बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट कर रहे है। इसके लिए नीतीश कुमार ने ममता बनर्जी,राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अरविंद केजरीवाल से मिले थे।
कर्नाटक की जीत से कांग्रेस अति उत्साहित: कहा जा रहा है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत मिलने से कांग्रेस अति उत्साहित है। इसकी वजह से पार्टी ने यह तय किया है किया है कि इसमें न तो राहुल गांधी जाएंगे और न ही मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल होंगे। बल्कि कांग्रेस शासित राज्य के किसी मुख्यमंत्री को बैठक में शामिल हो सकते हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस में यह बदलाव कर्णाटक में चुनाव जीतने की वजह से आया है। बताया जा रहा है कि पार्टी के नेता एक बार फिर राहुल गांधी को पीएम उम्मीदवार बनाना चाहते हैं। पार्टी नेताओं का मानना है कि राहुल गांधी द्वारा निकाली गई भारत जोड़ो यात्रा की वजह से कांग्रेस की कर्नाटक में जीत हुई है। इसके साथ ही राहुल गांधी की लोकप्रियता में भी इजाफा हुआ है।
जेडीयू जल्दबाजी में, कांग्रेस शांत: कहा जा रहा है कि विपक्षी एकता को लेकर जितनी जेडीयू जल्दबाजी में है उतना ही कांग्रेस शांत है। वह इस मामले में जल्दबाजी नहीं करना चाहती है और न ही प्रधानमंत्री उम्मीदवारी के लिए किसी दूसरे नेता को अपना समर्थन देना चाहती है। जबकि, जेडीयू इस मामले में जल्दबाजी में है। कहा जा रहा है कि जेडीयू नीतीश कुमार को पीएम उम्मीदवार के तौर पर उनका नाम आगे करना चाहती है। मीडिया रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि 12 जून को होने वाली बैठक में इस संबंध में प्रस्ताव रखा जाएगा। लेकिन, ऐसे में कहा जा सकता है कि मीडिया रिपोर्ट में केवल एक तरह से अफवाह है। क्योंकि अभी तक सबसे ज्यादा अगर कोई पीएम उम्मीदवार के लिए इच्छुक है तो टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी है। जो ज्यादा एक्टिव भी नजर आ रही है।
पीएम उम्मीदवार के लिए ममता सक्रिय: ओडिशा में ट्रेन हादसे के बाद मौके पर पहुंचने वाली पहली विपक्ष की नेता हैं. माना जा रहा है कि ममता बनर्जी ने खुद को विपक्ष का मुखिया के रूप में दिखाने के लिए उन्होंने ऐसा किया। अगर वे पूर्व रेलवे मंत्री के तौर पर वहां गई तो, नीतीश कुमार भी केंद्रीय रेलवे मंत्री रह चुके हैं। लेकिन उन्होंने घटनास्थल पर नहीं पहुंचे। बता दें कि ममता बनर्जी खुद सबसे पुराना नेता मानते हुए खुद को पीएम उम्मीदवार घोषित किये जाने के लिए तैयारी में जुटी हुई है। हालांकि नीतीश कुमार कई बार कह चुके हैं कि वे पीएम उम्मीदवार के रेस में नहीं है, लेकिनपार्टी उन्हें पीएम उम्मीदवार घोषित करना चाहती है।
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