नए संसद समारोह का बहिष्कार करने पर विपक्ष पूरी तरह से घिरता नजर आ रहा है। अब शिक्षाविदों रिटायर्ड नौकरशाहों सहित 270 प्रतिष्ठित नागरिकों ने विपक्ष को आइना दिखाते हुए इस बहिष्कार की निंदा की है। निंदा करने वालों में शिक्षाविद, रिटायर्ट सेना के अधिकारी, राजदूत और रिटायर्ट नौकरशाह हैं। सभी ने नई संसद समारोह के बहिष्कार को विपक्ष को आड़े हाथों लिया है।
इन नागरिकों ने अपने पत्र में लिखा है कि विपक्ष का यह बहिष्कार गैर लोकतान्त्रिक है। “फैमिली फर्स्ट” से प्रेरित राजनीति दल “इंडिया फर्स्ट” के दृष्टिकोण से सामंजस्य स्थापित नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए विपक्षी दल भारत का प्रतिनिधित्व करने वालों का बहिष्कार करने लिए एक साथ आये हैं। पत्र में कहा गया है कि जो लोग पीएम मोदी का विरोध कर रहे हैं। उन लोगों को समझना चाहिए कि वे लोकतंत्र के आत्मा को चूस रहे हैं।
नागरिकों ने पत्र में लिखा है कि विपक्ष कितनी बार संसद के आयोजनों का बहिष्कार करेगा। साल 2017 में कांग्रेस ने जीएसटी लांच करने लिए संसद में किये गए कार्यक्रम का बहिष्कार किया था। 2020 में आठ राज्यसभा सदस्यों का समर्थन के नाम पर लोकसभा का बहिष्कार किया था। जबकि उन सदस्यों को उनके व्यवहार की वजह से सस्पेंड किया गया था। 2021 में विपक्ष के साथ मिलकर कांग्रेस ने संविधान दिवस का बहिष्कार किया था।
इस पत्र में नागरिकों ने कहा कि नई संसद भवन का उद्घाटन पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है। भारतीय लोकतंत्र के संदर्भ में खुद को सबसे पुरानी राजनीति पार्टी कहने वाली कांग्रेस ने बेवजह बहिष्कार का फैसला किया है। यह निराशा करने वाला फैसला है। बता दें कि पत्र लिखने वालों में 10 राजदूत, सौ सेवानिवृत्त सेना के अधिकारी,82 शिक्षाविद और 88 रिटायर्ट नौकरशाह हैं।
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