पीएम मोदी ने रविवार को नई संसद भवन के उदघाटन के बाद यहां उपस्थित सांसदों और अन्य गणमान्य को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत के लोगों ने देश नई संसद का उपहार दिया है। देश की यात्रा में कुछ क्षण ऐसे होते हैं जो हमेशा के लिए अमर बन जाते हैं। आज देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। उन्होंने कहा कि आज सुबह ही संसद में सर्वधर्म उपासना आयोजित की गई। मै देशवासियों को इस मौके के लिए देशवासियों को बधाई देता हूं। यह केवल भवन ही नहीं है बल्कि 140 करोड़ देशवासियों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिम्ब है। यह दुनिया को भारत के दृढ़ संकल्प का संदेश देता हमारा लोकतंत्र का मंदिर है।
#WATCH आज इस ऐतिहासिक अवसर पर कुछ देर पहले संसद की नई इमारत में पवित्र सेंगोल की भी स्थापना हुई है। महान चोल साम्राज्य में सेंगोल को कर्तव्य पथ का, राष्ट्र पथ का प्रतीक माना जाता था। राजा जी और अधिनम के संतों के मार्ग दर्शन में यही सेंगोल सत्ता के हस्तातंरण का प्रतीक बना था: PM pic.twitter.com/ODwX9DVWtn
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 28, 2023
पीएम मोदी ने कहा कि नए रास्ते पर ही चलकर ही नए प्रतिमान गढ़े जाते है। नया भारत, नया रास्ता गढ़ रहा है। दिनया जोश है, नया उमंग है ,नया सफर है ,नई सोच है, नई दिशा है ,दृष्टि नई है। नया संकल्प है और नया विश्वास है। एक फिर पूरा विश्व भारत के संकल्प के साथ दृढ़ता और प्रखरता को आदर और उम्मीद के साथ देख रहा है। जब भारत आगे बढ़ रहा है, तो विश्व आगे बढ़ेगा। नया संसद भवन,नए भारत के विकास से विश्व के विकास का आवाहन है। उन्होंने कहा कि संसद की इस नई इमारत में सेंगोल की स्थापना हुई है। सेंगोल कर्तव्य पथ, सेवा पथ, राष्ट्र पथ का प्रतीक माना जाता था। राजाजी के मार्गदर्शन में यही सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। तमिलनाडु से आए अधीनम के संतों ने हमे आशीर्वाद दिए। साथ उन्हीं के देखरेख में सेंगोल को लोकसभा के स्पीकर की कुर्सी के बगल में उसे स्थापित किया गया।
पीएम मोदी ने कहा कि हमारा संविधान ही हमारा संकल्प है। जो रुकता है उसका भाग्य भी रुक जाता है। जो चलता है उसका भाग्य भी चलता रहता है। इसलिए चले रहो। उन्होंने कहा कि गुलामी के दौरान भारत ने बहुत कुछ खोकर अपनी यात्रा शुरू की थी। वह यात्रा कई उतार चढ़ाव से गुजरते हुए अमृतकाल में पवेश कर चुकी है। उन्होंने कहा कि आज नई संसद को देखकर हर भारतीय गौरव महसूस कर रहा है। इस भवन में विरासत भी है ,वास्तु भी और कला भी है। इसमें कौशल भी है इसमें संस्कृति भी और संविधान के स्वर भी हैं।
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