मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद, शिवसेना दो गुटों में विभाजित हो गई, शिंदे और उद्धव गुट। वहीं दोनों गुटों ने मूल शिवसेना पार्टी और प्रतीक का दावा किया है। इस संबंध में मंगलवार को केंद्रीय चुनाव आयोग के समक्ष सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अगली सुनवाई शुक्रवार यानी 20 जनवरी को होगी।
बता दें कि ठाकरे समूह की ओर से बहस करते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दावा किया कि शिवसेना में विभाजन काल्पनिक था और इसका पार्टी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। शिंदे गुट की याचिका में कई गलतियां हैं। अगर शिंदे समूह का सत्ता पर उनका दावा अच्छी तरह से प्रलेखित है, तो इसके लिए एक पहचान परेड आयोजित की जानी चाहिए। सिब्बल ने कहा, हम पहचान परेड के लिए भी तैयार हैं। इस बात का जिक्र करते हुए कि आज शिंदे के साथ जितने भी विधायक हैं, वे शिवसेना के आधार पर चुने गए हैं, सिब्बल ने यह भी उल्लेख किया कि मतदाता पार्टी की नीतियों के अनुसार उम्मीदवारों को वोट देते हैं।
वहीं शिंदे समूह के वकील, वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने ठाकरे समूह की इस आपत्ति को खारिज कर दिया कि शिंदे समूह के दस्तावेजों में त्रुटियां थीं। शिंदे गुट के पास मौजूद दस्तावेजों को सही बताते हुए जेठमलानी ने सवाल किया कि एक समूह के पार्टी छोड़ने में क्या अवैध है। जेठमलानी ने शिंदे गुट की ओर से चुनाव आयोग से अनुरोध किया कि इस पर जल्द से जल्द फैसला लिया जाए क्योंकि इसके पीछे शिंदे गुट की संख्या बल है।
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