शंभू बॉर्डर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले पंजाब और हरियाणा के वरिष्ट पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की बुधवार को पटियाला के पुलिस लाइन में किसान के साथ मीटिंग हुई। यह मीटिंग लगभग एक घंटे चली, लेकिन इस बैठक में पक्षों के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई। किसानों ने बिना ट्रैक्टर-ट्रालियों के दिल्ली कूच जाने से साफ मना कर दिया।
उधर, अधिकारियों ने किसानों को समझाया कि कानून का पालन करने का दायित्व सभी का है। माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार इस मामले को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है। बैठक में पंजाब और हरियाणा के एडीजीपी, एसएसपी पटियाला नानक सिंह, डीसी पटियाला शौकत अहमद परे, अंबाला के एसएसपी और डीसी मौजूद रहे। वहीं, दोनों किसान जत्थेबंदियों की और से भी लगभग सात सदस्यीय टीम शामिल हुए थे।
इस बैठक में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने लोगों को आवाजाही में हो रही परेशानी का हवाला देते हुए किसान जत्थेबंदियों को शंभू बॉर्डर पर अपना प्रदर्शन रोक रास्ता खोलने के लिए कहा। इस पर जवाब देते हुए किसानों ने कहा कि रास्ता हमने नहीं, बल्कि हरियाणा सरकार ने बंद किया हुआ है।
इसके बाद अधिकारियों ने मोटर व्हीकल एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि अगर किसान मांगों को लेकर केंद्र सरकार से बात करना चाहते हैं, तो फिर वह ट्रैक्टर-ट्रालियों के बिना जाएं। इस पर किसानों ने कहा कि ट्रैक्टर-ट्राली उनका दूसरा घर है। हर मौसम में ट्रैक्टर-ट्रालियां किसानों का बचाव करती हैं, इसलिए ट्रैक्टर-ट्रालियों के साथ ही किसानों को आगे बढ़ने की अनुमति दी जाए।
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने बताया कि बैठक में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार बातचीत के माध्यम से मामले के हल करने के लिए गठित होने वाली कमेटी के नामों को लेकर कोई चर्चा नहीं की गई है। डल्लेवाल ने कहा कि मीटिंग में अधिकारियों ने मोटर व्हीकल एक्ट का हवाला देते हुए बिना ट्रैक्टर-ट्रालियों के किसानों को जाने के लिए कहा।
इसके जवाब में किसानों ने कहा कि अगर एक्ट की ही बात है, तो फिर तो ट्रैक्टर-ट्रालियां सड़कों पर चल ही नहीं करती है। लेकिन किसान तो आज भी ट्रैक्टर-ट्रालियों में ही अपनी फसल बेचने के लिए 50-50 किलोमीटर दूर आते-जाते हैं। उन्होंने कहा कि किसान कहीं भी बिना ट्रैक्टर ट्रॉली के नहीं जाते हैं। हमें ट्रैक्टर ट्रॉलियों के साथ दिल्ली जाने की अनुमति मिलनी चाहिए।
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