विपक्ष ने की जातिवार जनगणना की मांग; नायडू के पास ‘स्किल सेंसस’ का विकल्प!

जहां एक तरफ विपक्ष की भारत अघाड़ी जातिवार जनगणना का मुद्दा उठा रही है, वहीं मुख्यमंत्री नायडू पीपीपी मॉडल के जरिए नागरिकों को अधिक सुविधाएं देने पर जोर दे रहे हैं|

विपक्ष ने की जातिवार जनगणना की मांग; नायडू के पास ‘स्किल सेंसस’ का विकल्प!

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एनडीए के मुख्य घटक दल तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने कौशल जनगणना का प्रस्ताव रखा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पूरे देश में इसी तरह के सर्वेक्षण की मांग की है। नायडू ने सुझाव दिया है कि इसके जरिए देश की विशाल जनशक्ति के कौशल का आकलन किया जा सकेगा और उनके विकास को बढ़ावा दिया जा सकेगा| जहां एक तरफ विपक्ष की भारत अघाड़ी जातिवार जनगणना का मुद्दा उठा रही है, वहीं मुख्यमंत्री नायडू पीपीपी मॉडल के जरिए नागरिकों को अधिक सुविधाएं देने पर जोर दे रहे हैं|

एनडीए को समर्थन देने के बाद टीडीपी पार्टी प्रमुख एन.चंद्रबाबू नायडू ने दिल्ली में केंद्र सरकार के साथ बैठकों का दौर चला | पूर्व मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी की सरकार की नीतियों के कारण राज्य वित्तीय तनाव में आ गया है। नायडू ने कहा है कि हमारा प्राथमिक उद्देश्य राज्य को वित्तीय कठिनाइयों से बाहर निकालना और राज्य का विकास करना है। नायडू ने अमरावती को आंध्र प्रदेश की नई राजधानी बनाने, रुकी हुई सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने समेत विभिन्न विभागों पर पांच श्वेत पत्र जारी करने का फैसला किया है|

एक रिपोर्ट के मुताबिक, नायडू ने कहा कि हमने यह फैसला लोगों पर छोड़ दिया है कि राज्य का विकास कैसे किया जाना चाहिए। मैं अपने अनुभव का उपयोग करके आंध्र प्रदेश को एक बार फिर विकास के पथ पर ले जाना चाहता हूं। हम देश-विदेश से निवेश आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। नायडू ने केंद्रीय मंत्रियों के अलावा कुछ उद्योगपतियों से भी मुलाकात की है|  राज्य में अब राजनीतिक हालात बदल गये हैं और वे राज्य में उद्योग स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं|

मुख्यमंत्री नायडू ने कहा, ”उद्योगपति राज्य में गलत प्रथाओं से डरते थे। लेकिन हमने उन लोगों को किनारे कर दिया है जो विकास के रास्ते में खड़े हैं और अब हम राज्य के नियंत्रण में हैं।” उन्होंने टीडीपी द्वारा भाजपा के साथ सत्ता साझेदारी पर बातचीत की चर्चा पर भी टिप्पणी की|  हमने भाजपा से कोई मांग नहीं की है| यहां तक कि वाजपेयी के समय में भी हमने कुछ नहीं मांगा. उन्होंने जवाब दिया, केंद्र ने हमें जो भी दिया, हमने उसे स्वीकार किया।

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