​मनसे का विधायक टूटता है तो क्या पार्टी और ट्रेन का इंजन उसे दिया जाएगा? ​- ​अजित पवार

अधिवेशन की पूर्व संध्या पर महाविकास अघाड़ी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वह सरकार द्वारा आयोजित चाय समारोह का बहिष्कार कर रहा है| इस मौके पर उन्होंने सरकार के आठ महीने के कामकाज की समीक्षा की|

​मनसे का विधायक टूटता है तो क्या पार्टी और ट्रेन का इंजन उसे दिया जाएगा? ​- ​अजित पवार

If MNS MLA breaks down, will the party and train engine be given to him? - Ajit Pawar

एक पार्टी में केवल एक या दो प्रतिनिधि होंगे और उन्होंने एक अलग स्टैंड लिया। तो क्या आप उसे पार्टी साइन और पार्टी देने जा रहे हैं? विपक्ष के नेता अजीत पवार ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को शिवसेना और धनुष-बाण देने के केंद्रीय चुनाव आयोग के फैसले की आलोचना की।

बजट सत्र : महाराष्ट्र का बजट सत्र कल से शुरू हो रहा है| अधिवेशन की पूर्व संध्या पर महाविकास अघाड़ी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वह सरकार द्वारा आयोजित चाय समारोह का बहिष्कार कर रहा है| इस मौके पर उन्होंने सरकार के आठ महीने के कामकाज की समीक्षा की|

इस अवसर पर उन्होंने किसानों के मुद्दे, उद्योगों के राज्य से बाहर जाने के मुद्दे, कानून व्यवस्था जैसे विभिन्न मुद्दों पर राज्य सरकार पर निशाना साधा| इस मौके पर अजित पवार ने भी चुनाव आयोग द्वारा शिवसेना को लेकर दिए गए फैसले पर नाराजगी जाहिर की|
चुनाव आयोग को लेकर : चुनाव आयोग ने शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न को लेकर जो फैसला दिया है वह वाकई पक्षपातपूर्ण है| आयोग के लिए उचित यही होता कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही कोई फैसला देता। लोगों के मन में चुनाव आयोग को लेकर कई तरह के सवाल उठे हैं| लेकिन चूंकि चालीस विधायक और कुछ सांसद एकनाथ शिंदे के पास गए तो उन्हें पार्टी और सिंबल दे दिया गया। अजित पवार ने पूछा की एक दल के एक या दो विधायक हो सकते हैं और यदि वे कोई भिन्न निर्णय लेते हैं, उदाहरण मनसे के पास वर्तमान में एक ही विधायक है, अगर वह कोई अलग फैसला लेता है तो क्या पार्टी और रेलवे का इंजन उसे देगा?
भावनाएं भी प्रबल : मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के शिवसेना छोड़ने के बाद से ही राज्य में उनके खिलाफ जनभावना तेज हो गई है। चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद लोगों की भावनाएं भी प्रबल हैं| लोगों के मन में नाराजगी जरूर है। अजीत पवार ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के वकील कपिल सिब्बल की दलीलों को देखने के बाद हम यह तस्वीर देख रहे हैं कि वर्तमान शिंदे सरकार एक अवैध-असंवैधानिक सरकार है और सरकार के ऊपर अयोग्यता की तलवार अभी भी लटकी हुई है|
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