देश की प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने एक साथ आकर पटना में विपक्षी एकता का ऐलान तो कर दिया,लेकिन उत्तर प्रदेश की लोकसभा के अंकगणित पर नजर डालें तो 2019 में विपक्ष का वोटिंग प्रतिशत 26.46 प्रतिशत था, जबकि भाजपा-अपना दल का प्रतिशत 51.18 फीसदी रहा| इसका सीधा अर्थ यह है कि भाजपा का कुल वोट विपक्ष से दोगुना है।
2019 में समाजवादी पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था| उन्हें कुल 18.11 फीसदी वोट मिले| कांग्रेस ने अपने दम पर चुनाव लड़ा और उसे 6.36 फीसदी वोट मिले| राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) भी एसपी-बीएसपी गठबंधन को मात्र 1.68 फीसदी वोट मिले| पटना में विपक्ष की बैठक से रालोद नेता जयंत चौधरी नदारद रहे| 2014 में भाजपा ने 80 में से 71 सीटें जीती थीं, 2019 में 62 सीटें मिलीं| पटना में विपक्ष की बैठक के बाद मायावती ने विपक्ष की मंशा पर सवाल उठाते हुए पूछा कि उत्तर प्रदेश जीतने के लिए विपक्ष की क्या रणनीति है| विपक्ष की अगली बैठक कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश में होगी|यह जगह उत्तर प्रदेश से बहुत दूर है, जहां केवल चार लोकसभा सीटें हैं|
पटना में बैठक का आयोजन बिहार की सत्ताधारी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) की ओर से किया गया था| उत्तर प्रदेश में जनता दल (यू) की ज्यादा मौजूदगी नहीं है| पिछले चुनाव में उन्हें सिर्फ 0.01 फीसदी वोट मिले थे| समाजवादी पार्टी से अलग हुए अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के जरिये उम्मीदवार खड़ा किया| उनकी पार्टी को 0.3 फीसदी वोट मिले| फिरोजाबाद से सपा प्रत्याशी को शिवपाल यादव ने हरा दिया| पिछले साल शिवपाल यादव ने अपनी पार्टी का विलय समाजवादी पार्टी में कर दिया था| विपक्ष की बैठक में बहुजन समाज पार्टी को नहीं बुलाया गया| बसपा ने इस बार अपने दम पर लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है| 2019 में मायावती की बीएसपी को 19.42 फीसदी वोट मिले|
यदि बहुजन समाज पार्टी के वोटों को हटा दिया जाए और अन्य विपक्षी दलों के वोटों को जोड़ दिया जाए तो यह आंकड़ा 26.46 प्रतिशत हो जाता है। 2019 में भाजपा-अपना दल (सोनेलाल) गठबंधन को 51.18 फीसदी वोट मिले थे| विपक्ष के वोटों की कुल संख्या इससे आधी है| भाजपा ने अकेले 49.97 फीसदी वोट हासिल किए| अगर विपक्ष और बीएसपी के वोट मिला भी दिए जाएं तो भी भाजपा उनसे आगे है| 2014 के लोकसभा चुनाव में एसपी, बीएसपी और आरएलडी ने अपने दम पर चुनाव लड़ा था. उनके वोटों का योग 42.98 फीसदी था| तीनों की तुलना में भाजपा को 42.63 फीसदी वोट मिले|
2018 में गोरखपुर, फूलपुर और कैराना सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे देखने के बाद विपक्ष ने 2019 में मोर्चा बनाने की कोशिश की| वे इससे भाजपा की कुछ सीटें कम करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन इसके उलट 2019 में भाजपा का वोटिंग प्रतिशत और बढ़ गया| इस समय भाजपा केंद्र सरकार की ओर से दी जाने वाली विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों का समर्थन हासिल करने की भी कोशिश करेगी, जिन लोगों को मुफ्त घर, मुफ्त राशन, शौचालय, स्वास्थ्य कार्ड, एलपीजी कनेक्शन, टैबलेट और स्मार्टफोन उपलब्ध कराए गए, उन्हें वितरित किया गया। उनका समर्थन पाने की कोशिश की जा रही है| उत्तर प्रदेश में 11 करोड़ लाभार्थी हैं जिन्हें केंद्र सरकार की योजनाओं से फायदा हुआ है|
इसमें मुस्लिम, जाट, दलित और यादव बड़ी संख्या में हैं। अब तक भाजपा को इस समुदाय का समर्थन नहीं मिला| हमारा अनुमान है कि इनमें से कम से कम एक करोड़ लाभार्थी 2024 के चुनावों में भाजपा को वोट देंगे। साथ ही पसमांदा मुसलमान भी भाजपा के प्रति अपना समर्थन बढ़ा रहे हैं| उनके समुदाय को न केवल सरकार की योजनाओं से लाभ हुआ है, बल्कि विधान परिषद में भी उनके समुदाय को प्रतिनिधित्व दिया गया है।
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