पाकिस्तान में जैफर एक्सप्रेस ट्रेन पर हुए हमले को लेकर सेना और बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) के अलग-अलग दावे सामने आ रहे हैं। पाकिस्तान सेना का कहना है कि इस हमले में कुल 27 लोग मारे गए और 33 आतंकी ढेर कर दिए गए, जबकि BLA ने इस सरकारी दावे को झूठा बताया है। संगठन का दावा है कि ट्रेन में बंधक बनाए लोगों को उन्होंने ख़त्म कर उनके लड़ाके निकल चुके थे। बताया गया है की BLA के लड़ाकों के बजाए पाकिस्तान के लोगों की लाशें पाकिस्तान बता रहा है।
पाकिस्तानी सेना ने आधिकारिक बयान में कहा कि जैफर एक्सप्रेस को बंधक बनाने वाले सभी आतंकियों को खत्म कर दिया गया है और सभी बंधकों को छुड़ा लिया गया है। सेना के मुताबिक, यह हमला भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ (RAW) के समर्थन से हुआ था। पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि इस हमले के पीछे भारत का हाथ है और उसने बलूच उग्रवादियों को समर्थन दिया है। इस दावे का खंडन करते हुए भारत की ओर से पाकिस्तान के आतंरिक हालातों से भारत का कोई लेना देना नहीं इस बात को साफ़ किया है। साथ ही सिमा पार की दहशतगर्दी को याद दिलाया है।
BLA ने इस हमले के बाद एक वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान सेना के दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया। BLA ने यह भी कहा कि पाकिस्तान सरकार मौत के आंकड़ों को छिपा रही है और हमले को लेकर गलत जानकारी फैला रही है। वहीं जाफर एक्सप्रेस से बचकर निकले यात्रियों ने साफ़ तौर पर 70 से 80 लाशें बिछी होने की बात की है।
जैफर एक्सप्रेस हमले को लेकर पाकिस्तान सरकार और BLA के विरोधाभासी दावों ने एक बार फिर यह दिखाया कि बलूचिस्तान में स्थिति कितनी अस्थिर है। अगर BLA का दावा सही है कि सेना के हमले में बंधकों की जान गई, तो यह पाकिस्तान के की एक और बड़ी विफलता कही जाएगी। वहीं, अगर सेना का दावा सही है, तो यह एक बड़ा आतंकी हमला था, जिसे सेना ने कुचलने का प्रयास किया।
बलूचिस्तान के पूर्व मुख्यमंत्री अख्तर मेंगल ने हाल ही में अपने बयान में कहा था की बलूचिस्तान की जमीन का एक इंच भी पाकिस्तान आर्मी के कंट्रोल में नहीं है। बलूचिस्तान आर्मी इतनी शक्तिशाली हो चुकी है। उन्होंने कहा है की पाकिस्तान की मिलिटरी बलोचिस्तान में युद्ध हार चुकी है। उन्होंने कहा “बलूचिस्तान का एक इंच भी ऐसा नहीं बचा है जहाँ सरकार अपना अधिकार जता सके। वे इस युद्ध को हार चुके हैं – पूरी तरह से और अपरिवर्तनीय रूप से। यह खत्म हो चुका है। हमने उन्हें चेतावनी दी थी, ठीक वैसे ही जैसे हमसे पहले के लोगों ने उन्हें चेतावनी दी थी। लेकिन सुनने के बजाय, उन्होंने हमारा मज़ाक उड़ाया। उन्होंने हमारी बातों को खोखली धमकियाँ बताकर खारिज कर दिया, जबकि उन्होंने उत्पीड़न, लूटपाट और खून-खराबे की व्यवस्था को बढ़ावा दिया। हर एक सरकार ने – बिना किसी अपवाद के – बलूच लोगों के व्यवस्थित नरसंहार में अपनी भूमिका निभाई है। यह एक ऐसा मुद्दा है जहाँ हर संस्था, हर प्रशासन, हर तथाकथित नेता हमेशा हमारे खिलाफ़ एकजुट रहा है। और अपने अपराधों को स्वीकार करने के बजाय, उन्होंने वही किया जो वे सबसे अच्छा करते हैं, दोष दूसरों पर मढ़ना! लेकिन आज, मैं एक बात बहुत स्पष्ट करना चाहता हूँ। संघीय सरकार, राजनीतिक दलों, न्यायपालिका, प्रतिष्ठान – आपने अपने हाथों से बलूचिस्तान को विनाश के कगार पर पहुँचा दिया है। लेकिन इस बार, यह हमारे नियंत्रण से बाहर है। और यह आपके भी नियंत्रण से बाहर है।”
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