केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने शुक्रवार(4 अप्रैल) को संसद भवन में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बजट सत्र 2025 के समापन की जानकारी दी और इसे एक ऐतिहासिक व अत्यंत उत्पादक सत्र करार दिया। उन्होंने बताया कि संसद के दोनों सदनों में बिना किसी व्यवधान के रचनात्मक और विस्तृत चर्चा हुई, जो भारतीय लोकतंत्र की परिपक्वता और संसद की गरिमा को दर्शाता है।
रिजिजू ने कहा कि राज्यसभा में 3 अप्रैल को सुबह 11 बजे से शुरू होकर 4 अप्रैल को तड़के 4:02 बजे तक चली 17 घंटे 2 मिनट की लंबी बहस संसदीय इतिहास की सबसे बड़ी बहसों में शामिल हो गई है। यह बहस 1981 में 15 घंटे 51 मिनट की रिकॉर्ड बहस को पीछे छोड़ते हुए एक नया कीर्तिमान बन गई। उन्होंने इस उपलब्धि को ‘संसदीय गरिमा और संयम का आदर्श उदाहरण’ बताया।
लोकसभा में भी चर्चा का माहौल सकारात्मक और सहयोगात्मक रहा। रेलवे, ऊर्जा, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय से जुड़ी अनुदान मांगों पर 13 घंटे से अधिक समय तक विचार-विमर्श किया गया, जबकि राज्यसभा में शिक्षा, स्वास्थ्य, गृह और रेलवे मंत्रालय के कार्यों पर विस्तृत चर्चा हुई।
रिजिजू ने सभी सांसदों, स्पीकर, चेयरमैन, विपक्ष और सत्ता पक्ष के नेताओं, साथ ही अधिकारियों और सचिवों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि “यह सत्र हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं की ताकत और सदस्यों की गंभीरता को दर्शाता है। कोई व्यवधान नहीं हुआ, कोई हंगामा नहीं हुआ, यह आज के समय में बड़ी बात है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार हर आलोचना को गंभीरता से लेती है और सकारात्मक सुझावों का स्वागत करती है। उन्होंने कहा, “हमने नियमों और प्रक्रियाओं का पालन करते हुए संसद का संचालन किया। यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व, और सभी फ्लोर लीडर्स के सहयोग से संभव हो पाया।”
रिजिजू के अनुसार, यह सत्र न केवल कानून निर्माण की दृष्टि से बल्कि लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता के लिहाज़ से भी एक मिसाल बना है।
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