प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 जनवरी को मुंबई में आयोजित होने वाले ऊर्जा महोत्सव के दौरान पद्म भूषण से सम्मानित जैन आचार्य श्री रत्नसुंदरसूरीश्वरजी महाराज साहेब की 500वीं पुस्तक का विमोचन करेंगे। यह महोत्सव 7 जनवरी से 12 जनवरी तक आयोजित किया जाएगा। आचार्य रत्नसुंदरसूरीश्वरजी महाराज साहेब की यह पुस्तक उनके दीर्घ साहित्यिक जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव मानी जा रही है।
‘वर्ल्ड ऑफ लव, लव ऑफ द वर्ल्ड’ शीर्षक वाली यह पुस्तक अब तक 21 भाषाओं में अनूदित की जा चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार, यह तथ्य जैन आध्यात्मिक गुरु के विचारों और लेखन की वैश्विक स्वीकार्यता और व्यापक प्रभाव को दर्शाता है।
अपने लेखन की शुरुआत को याद करते हुए आचार्य रत्नसुंदरसूरीश्वरजी महाराज ने बताया कि उनकी औपचारिक शिक्षा कक्षा दसवीं तक ही हुई थी और एक समय ऐसा भी था जब उन्हें पुस्तक लिखना असंभव लगता था। उन्होंने अपने गुरु भुवनभानुसूरीश्वरजी महाराज से कहा था कि वह पोस्टकार्ड तक नहीं लिख सकते। इस प्रसंग को याद करते हुए आचार्य ने कहा, पांच मिनट बाद मैं लिख रहा था और उन्होंने जोड़ा कि उसके बाद उन्होंने कभी लिखना बंद नहीं किया।
गुरु के उस सरल निर्देश से शुरू हुई यह यात्रा आज 500 पुस्तकों तक पहुंच चुकी है। आचार्य का साहित्यिक संसार 80 से अधिक विषयों और विधाओं में फैला हुआ है। उनकी रचनाएं व्यक्तिगत आचरण, मानसिक शक्ति, सामाजिक व्यवहार और आध्यात्मिक चिंतन जैसे विषयों के साथ-साथ समकालीन और असामान्य मुद्दों को भी स्पर्श करती हैं।
आचार्य रत्नसुंदरसूरीश्वरजी महाराज साहेब ने विवाह, क्रिकेट, मोबाइल फोन के सामाजिक प्रभाव जैसे विषयों पर भी लेखन किया है। इसके अलावा, उन्होंने एक समय भारतीय स्कूलों में छह वर्ष के बच्चों के लिए यौन शिक्षा की शुरुआत के विरोध में सार्वजनिक अभियान भी चलाया था। इस संदर्भ में उन्होंने कहा, “मैंने उन चीज़ों पर भी लिखा है, जिन्हें मैंने स्वयं नहीं जिया।”
उनके व्यापक साहित्यिक योगदान के लिए उन्हें दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड भी मिल चुके हैं। जैन मुनि के रूप में उनका जीवन आज भी तप, मौन, अनुशासन और सादगी से परिपूर्ण है। 500वीं पुस्तक का विमोचन न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन का एक ऐतिहासिक क्षण है, बल्कि भारतीय आध्यात्मिक और साहित्यिक परंपरा में भी एक उल्लेखनीय उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।
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