पीएम मोदी ने खींचे लुटियंस जमात और खान मार्केट गैंग के कान !

पीएम मोदी ने खींचे लुटियंस जमात और खान मार्केट गैंग के कान !

PM Modi pulled the ears of Lutyens Jamaat and Khan Market Gang!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने बेबाक भाषणों और तीखें प्रहारों के लिए जाने जाते है, जो की उनका रूप पिछले कुछ सालों से काफी सौम्य रहा है। दरम्यान एनएक्सटी के कॉन्क्लेव में उनका यह रूप फिर एक बार देखने मिला है। प्रधानमंत्री मोदी ने कथित “लुटियंस जमात” और “खान मार्केट गैंग” तीखी आलोचना की है। प्रधानमंत्री ने कहा ये लोकतंत्र की रक्षा का दिखावा करते है लेकीन स्वतंत्रता के बाद दशकों तक दमनकारी कानूनों को नजरअंदाज करते है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग की सिलेक्टिव सक्रियता पर कटाक्ष करते हुए तंज कसा। उन्होंने कहा, “मैं ‘लुटियन जमात’ और ‘ खान मार्केट गैंग’ से हैरान हूं – जो हमें आज़ादी पर व्याख्यान देते हैं। वे इतने सालों से चुप हैं। जो लोग जनहित याचिकाओं के ‘ठेकेदार’ हैं, जो हर बार अदालतों के चक्कर लगाते हैं, वे तब आज़ादी के बारे में चिंतित क्यों नहीं थे?”

प्रधानमंत्री मोदी ने एक कानून के अस्तित्व की मूर्खता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “अंग्रेजों ने 150 साल पहले एक कानून बनाया था – ड्रामेटिक परफॉरमेंस एक्ट। आजादी के 75 साल बाद भी यह कानून लागू है। क्या आप जानते हैं इसका क्या मतलब है?अगर शादी में दस से ज़्यादा लोग नाच रहे थे, तो पुलिस दूल्हे के साथ-साथ उन्हें भी गिरफ़्तार कर सकती थी!” उन्होंने कहा, “अगर मोदी आज ऐसा कानून लाते, तो सोचिए क्या होता। अगर सोशल मीडिया पर ट्रोल्स गलत जानकारी भी फैलाते, तो ‘ये लोग आग लगा देते, मोदी के बाल नोच लेते।”

प्रधानमंत्री ने कहा की उनकी सरकार ने अब इस कानून को ख़त्म कर दिया है। जबकि पिछली सरकार,तथाकथित  बुद्धिजीवी या तथाकथित पीआईएल कार्यकर्ताओं में से किसी ने इसके खिलाफ आगे बढ़ने की कोशिश नहीं किए। इसी पर प्रधानमंत्री ने पूछा, “जो लोग प्रचार के लिए हर दिन अदालतों में भागते हैं, तथाकथित ‘कार्यकर्ता’ – उन्होंने इस औपनिवेशिक बेड़ियों को हटाने के लिए कभी पीआईएल क्यों नहीं दायर की? जब वास्तव में स्वतंत्रता की आवश्यकता थी, तब उन्होंने कभी इसके लिए लड़ाई क्यों नहीं लड़ी?”

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बेतुके कानून का जिक्र कर खुलासा किया की, एक ऐसा कानून भी था जिसके तहत बांस काटने पर ग्रामीणों और किसानों को दंडित किया जाता था। यानि पिछली सरकारे यह पहचानने में भी विफल रही की बांस पेड़ न होकर घास है। वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “पहले, बांस काटने पर लोगों को जेल हो जाती थी क्योंकि हमारे पास एक ऐसा कानून था जो बांस को पेड़ मानता था। हमारी पिछली सरकारें एक बुनियादी तथ्य को समझने में विफल रहीं- बांस घास है, पेड़ नहीं। लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। यह हमारी सरकार है जिसने इस कानून को बदल दिया”

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