गर्भवती की हुई मौत: इलाज के लिए मांगे गए थे 10 लाख, अस्पताल पर कार्रवाई की मांग तेज!

लेकिन इलाज शुरू करने से पहले मोटी रकम की मांग की गई। राज्य सचिवालय से हस्तक्षेप की कोशिशें भी विफल रहीं।

गर्भवती की हुई मौत: इलाज के लिए मांगे गए थे 10 लाख, अस्पताल पर कार्रवाई की मांग तेज!

Pregnant woman dies: 10 lakhs were demanded for her treatment, demand for action against hospital intensifies!

महाराष्ट्र में स्वास्थ्य व्यवस्था की संवेदनशीलता को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। राज्य विधान परिषद सदस्य (MLC) अमित गोरखे के सहायक की सात माह की गर्भवती पत्नी मोनाली सुषांत भीसे की पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में इलाज न मिलने से मौत होने की बात की जा रही है। परिवार का आरोप है कि अस्पताल ने इलाज शुरू करने के लिए पहले ₹10 लाख जमा कराने की शर्त रखी, जिससे कीमती समय बर्बाद हुआ और मोनाली की जान चली गई।

बताया गया है कि मोनाली को गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था, लेकिन इलाज शुरू करने से पहले मोटी रकम की मांग की गई। राज्य सचिवालय से हस्तक्षेप की कोशिशें भी विफल रहीं। मजबूरी में उन्हें दूसरे अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने जुड़वां बच्चियों को जन्म तो दिया, लेकिन अत्यधिक रक्तस्राव के कारण उनकी मृत्यु हो गई।

इस घटना ने राज्य भर में नाराजगी फैला दी है। MLC अमित गोरखे ने पुणे पुलिस के संयुक्त आयुक्त रंजन शर्मा से मुलाकात कर अस्पताल प्रशासन और लापरवाह डॉक्टरों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की। शर्मा ने आश्वासन दिया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

गोरखे ने चार प्रमुख मांगें उठाई हैं। डॉक्टरों को तत्काल निलंबित किया जाए और उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज हो। अस्पताल द्वारा लिए जा रहे अनुचित शुल्कों की जांच हो, क्योंकि यह एक धार्मिक ट्रस्ट द्वारा संचालित संस्थान है। मेडिकल बोर्ड द्वारा स्वतंत्र जांच कराई जाए। पीड़ित परिवार को सरकार की ओर से उचित मुआवजा दिया जाए।

सुप्रिया सुले और महिला आयोग की प्रतिक्रिया:

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सांसद सुप्रिया सुले ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की और कहा कि “पैसे के अभाव में अगर इलाज नहीं मिलता, तो ये बेहद चिंताजनक और अमानवीय स्थिति है।” महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रुपाली चाकणकर ने पुणे नगर आयुक्त को जांच के आदेश दिए हैं और कहा कि सच्चाई उजागर कर जिम्मेदारों को सजा दी जाएगी।

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राज्य सरकार इस पूरे प्रकरण की बारीकी से जांच कर रही है। उच्च स्तर पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई है और अस्पताल की चार्टेबल ट्रस्ट पॉलिसी के उल्लंघन पर सवाल उठाए जा रहे हैं। यह मामला सिर्फ एक महिला की मौत का नहीं, बल्कि देश की स्वास्थ्य प्रणाली में गहराई से जमी अमानवीयता की पोल खोलता है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि सरकार इस पर कितनी सख्त कार्रवाई करती है।

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