पुणे में मनसे नेता संजय मोरे एक बार फिर खफा बताए जा रहे हैं। कहा जाता है कि पुणे में मनसे के एक कार्यक्रम में उन्हें बोलने की अनुमति नहीं मिलने से वह नाराज थे। इस नाराजगी पर बोलते हुए मोरे ने जवाब दिया है कि मुझे इस कार्यक्रम में बोलने की इजाजत मिलनी चाहिए थी| इससे पहले भी उनकी नाराजगी ने पुणे मनसे में बेचैनी पैदा कर दी थी|
मनसे नेता वसंत मोरे को पुणे शहर में मनसे के कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था। लेकिन उन्हें बोलने नहीं दिया गया। लिहाजा राजनीतिक हलकों में मोरे के नाराज होने की चर्चा शुरू हो गई है| इस चर्चा से मनसे का अंदरूनी विवाद खुलकर सामने आ गया है|
पार्टी अध्यक्ष राज ठाकरे ने आगामी चुनावों की पृष्ठभूमि में गुटबाजी और विवाद को भुलाकर एकमत होकर चुनाव का सामना करने का सुझाव दिया है| वसंत मोरे मस्जिद पर भोंगियों के मुद्दे पर सहमति नहीं बनने से नाराज थे। इसके बाद से शहर मनसे के पदाधिकारियों और वसंत मोरे के बीच अनबन जारी है। मोरे ने आरोप लगाया था कि स्थानीय पदाधिकारी धोखा दे रहे हैं। मोरे ने घोषणा की थी कि वह तभी कार्यालय जाएंगे जब राज ठाकरे पार्टी सत्ता में आएगी। इसमें यह नया विवाद जुड़ गया है।
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