पुतिन की भारत यात्रा से बड़े रक्षा सौदों को रफ़्तार, नए S-400 प्रस्ताव की चर्चा तेज

पुतिन की भारत यात्रा से बड़े रक्षा सौदों को रफ़्तार, नए S-400 प्रस्ताव की चर्चा तेज

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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के 4-5 दिसंबर को प्रस्तावित भारत दौरे से दोनों देशों के बीच रक्षा समझौते एक बार फिर केंद्र में आने वाला है। रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद यह पुतिन की पहली भारत यात्रा होगी, जिसके दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन के बीच 23वें वार्षिक शिखर सम्मेलन में कई अहम रक्षा परियोजनाओं पर चर्चा होने की उम्मीद है। सबसे प्रमुख मुद्दा भारत को दो से तीन अतिरिक्त S-400 एयर डिफेंस रेजिमेंट की पेशकश है, जिसे रूस अपने नए रक्षा पैकेज में शामिल कर रहा है।

भारत की रक्षा प्रणाली में रूस की भूमिका ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण रही है। बीते वर्षों में रूस पर निर्भरता भले ही कम हुई हो, लेकिन अभी भी भारतीय हथियारों का 60-70 प्रतिशत हिस्सा रूसी मूल का है। SIPRI के अनुसार, 2009 में भारत के 76% रक्षा आयात रूस से आते थे, जबकि 2024 में यह आयात घटकर 36% रह गए है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ कार्यक्रम ने भारत के रक्षा अधिग्रहण के दृष्टिकोण को बदला है, जिसके चलते फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों के साथ सहयोग बढ़ा है। इसके बावजूद ब्रह्मोस, AK-203 राइफल, T-90 टैंक और S-400 जैसे संयुक्त प्रोजेक्ट भारत-रूस साझेदारी की गहराई को दर्शाते हैं।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान S-400 की प्रभावशाली क्षमता का प्रदर्शन एक अहम कारण है कि भारत इसकी अतिरिक्त रेजिमेंट्स पर विचार कर रहा है। रिपोर्टों में कहा गया कि भारतीय वायुसेना की एक S-400 यूनिट ने आदमपुर से 314 किलोमीटर दूर एक पाकिस्तानी विमान को मार गिराया और एक समय में 300 से अधिक हवाई लक्ष्यों को ट्रैक किया। पांच मिनट से भी कम समय में इसकी तैनाती क्षमता ने इसे भारत की मल्टी-लेयर्ड एयर डिफेंस का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया है।

रूसी रक्षा कंपनी रोस्तेख ने नई डील के लिए शुरुआती बातचीत शुरू कर दी है और भारत को भरोसा दिया है कि भविष्य की सभी डिलीवरी तय समयसीमा के अनुसार की जाएंगी। यह आश्वासन महत्वपूर्ण है क्योंकि यूक्रेन युद्ध के कारण पहले कुछ डिलीवरी प्रभावित हुई थीं। भारत की 5.43 अरब डॉलर की मूल S-400 डील में तीन रेजिमेंट मिल चुकी हैं, जबकि दो की डिलीवरी 2026 के मध्य तक पूरी होनी है।

नई पेशकश की खास बात यह है कि रूस S-400 मिसाइलों और सिस्टम्स पर लगभग 50 फीसदी तकनीक हस्तांतरण देने के लिए तैयार है। इससे भारत में स्थानीय असेंबली के साथ 48N6 मिसाइल के उत्पादन को गति मिलेगी, जिसमें भारत की BDL जैसी कंपनियाँ भाग ले सकती हैं। S-400 सपोर्ट सिस्टम का लगभग आधा हिस्सा भी देश में स्वदेशीकरण की दिशा में बढ़ाया जा सकता है।

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन की इस यात्रा से न केवल S-400 पर नई प्रगति होगी, बल्कि दोनों देशों के बीच भविष्य की रक्षा परियोजनाओं का रोडमैप भी तैयार होगा। चर्चाओं को 2026 तक अंतिम रूप देने का लक्ष्य रखा गया है, जो भारत-रूस रक्षा संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है।

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