पुणे की एमपी/एमएलए स्पेशल कोर्ट में गुरुवार (27 नवंबर)को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ चल रहे मानहानि मामले की सुनवाई के दौरान एक अप्रत्याशित मोड़ आया। जिस सील बंद CD को इस केस का मुख्य साक्ष्य बताया गया था, वह अदालत में चलाने आदेश दिए जाने पर वह पूरी तरह खाली निकली। इस चौंकाने वाली घटना ने न सिर्फ अदालत को, बल्कि दोनों पक्षों के वकीलों को भी हैरत में डाल दिया।
मामले की सुनवाई मैजिस्ट्रेट अमोल शिंदे कर रहे हैं। शिकायत सत्यकी सावरकर, हिंदुत्व विचारक वीर सावरकर के पर-भतीजे ने दर्ज कराई थी। उनका आरोप है कि राहुल गांधी ने लंदन के एक कार्यक्रम में वी.डी. सावरकर के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।
सत्यकी सावरकर ने अदालत को बताया कि इस CD को पहले ही संज्ञान चरण पर अदालत में चलाया गया था। उसके बाद ही कोर्ट ने राहुल गांधी को समन जारी किया था। लेकिन गुरुवार को जब उनकी मुख्य परीक्षा (examination-in-chief) के दौरान वही CD खोली गई और चलाई गई, तो उसमें एक भी डेटा फ़ाइल नहीं थी। शिकायतकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता संग्राम कोल्हटकर भी सन्न रह गए। उन्होंने कहा, “यह वही CD है जिसे पहले कोर्ट ने देखा था। यह कैसे खाली हो गई?”
CD के खाली होने के बाद कोल्हटकर ने कोर्ट से अनुरोध किया कि वह सीधे YouTube पर उपलब्ध भाषण को देखे।
लेकिन राहुल गांधी की ओर से उपस्थित अधिवक्ता मिलिंद दत्तात्रय पवार ने आपत्ति जताई। मैजिस्ट्रेट शिंदे ने भी पवार की आपत्ति स्वीकार करते हुए स्पष्ट कहा, “URL को भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65B के अनुसार प्रमाणित नहीं किया गया है। इसलिए URL को साक्ष्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता।” धारा 65B प्रमाणपत्र किसी भी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को कोर्ट में मान्य बनाने के लिए अनिवार्य होता है।
कोल्हटकर ने फिर दो और CDs अदालत में पेश कीं और आग्रह किया कि इन्हें अदालत में तुरंत देखा जाए। पवार ने फिर आपत्ति की, और कोर्ट ने यह आवेदन भी खारिज कर दिया। इसके बाद कोल्हटकर ने, CD के खाली होने पर न्यायिक जांच की मांग की फैसले को चुनौती देने की अनुमति मांगी और सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया पवार ने इसका विरोध किया, लेकिन अंततः अदालत ने मामला शुक्रवार के लिए स्थगित कर दिया।
यह घटनाक्रम अब अदालत में कई नए सवाल खड़े कर रहा है, क्या CD छेड़छाड़ का शिकार हुई? क्या रिकॉर्डिंग मूल रूप से ही ख़राब थी? जब अदालत ने इसे पहले देखा था, तो अब यह ब्लैंक कैसे हो गई? अगली सुनवाई में ये मुद्दे प्रमुख रहेंगे, और संभव है कि अदालत इस पर विस्तृत जांच का आदेश दे। यह पूरा मामला अब कानूनी मोड़ लेते हुए एक तकनीकी पहेली बन चुका है, जिसका समाधान आने वाली सुनवाई में सामने आ सकता है।
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