बिहार विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद राष्ट्रीय जनता दल (RJD) गहरी अंदरूनी उथल-पुथल से गुजर रही है। पार्टी में नेतृत्व को लेकर असंतोष खुलकर सामने आ रहा है, कई नेता तेजस्वी यादव की चुनावी रणनीति से लेकर उनकी कोर टीम की भूमिका पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं। चुनावी नतीजों के बाद से तेजस्वी यादव सार्वजनिक रूप से नदारद हैं, जबकि पार्टी के वरिष्ठ नेता और कई प्रत्याशी अभियान संचालित करने के तरीके पर खुलकर नाराजगी जता रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, RJD ने हार के कारणों की समीक्षा के लिए ब्लॉक-स्तरीय बैठकों की श्रृंखला शुरू की है, जो 9 दिसंबर तक चलेगी। बुधवार को मगध ब्लॉक की बैठक हुई, जबकि सारण ब्लॉक की समीक्षा आज प्रस्तावित है। प्रारंभिक फीडबैक में पार्टी के भीतर समन्वय की कमी और सहयोगी दलों से अपेक्षित समर्थन न मिलने को हार के प्रमुख कारणों में गिना गया है।
हार के बाद असंतोष सिर्फ पार्टी तक सीमित नहीं रहा बल्कि यादव परिवार के भीतर भी गंभीर मतभेद उभर आए हैं। खबर के अनुसार, लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी ने तेजस्वी की टीम के चुनाव प्रबंधन को लेकर नाराजगी जताई है। परिवार की बैठकों में तेजस्वी यादव की टीम के सदस्यों, विशेषकर संजय यादव और उनके करीबी सहयोगियों, पर अत्यधिक दखलंदाजी का आरोप लगाया गया है।
रोहिणी आचार्या ने सीधे तौर पर तेजस्वी यादव को चुनावी विफलताओं के लिए जिम्मेदार ठहराने के बाद से तनाव चरम पर पहुँचा है। सूत्रों के अनुसार रोहिणी आचार्य के सवालों से उठे विवाद के दौरान मामला हाथापाई तक पहुंचा था। इसके बाद रोहिणी आचार्या ने सार्वजनिक रूप से राजनीति छोड़ने की घोषणा की और तेजस्वी की कोर टीम पर पार्टी को गलत दिशा में ले जाने का आरोप लगाया।
इस चुनाव परिणाम ने महागठबंधन को गहरा झटका दिया है। गठबंधन को कुल मिलाकर केवल 35 सीटें मिलीं। RJD की सीटें पिछले चुनाव के 75 से घटकर सिर्फ 25 रह गईं। अन्य सहयोगी दलों में कांग्रेस को 6, CPI(ML) को 2, जबकि CPI(M) और इंडियन इंक्लूसिव पार्टी को 1-1 सीटें मिलीं। AIMIM ने 5 सीटें और BSP ने 1 सीट हासिल की।
वहीं NDA ने भारी जीत दर्ज की। BJP 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। उसके सहयोगी JDU ने 85, LJP (रामविलास) ने 19, HAM(S) ने 5, और राष्ट्रिया लोक मोर्चा ने 4 सीटें जीतीं। चुनावी हार और आंतरिक कलह ने RJD की संगठनात्मक मजबूती पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पार्टी के भीतर यह चर्चा तेज है कि नेतृत्व शैली और कोर टीम की कार्यप्रणाली में व्यापक बदलाव किए बिना RJD अपना जनाधार बचा नहीं पाएगी।
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