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एसबीआई की रिपोर्ट: अमेरिकी टैरिफ का भारत पर नगण्य प्रभाव, निर्यात में विविधता बनी ताकत

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भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका द्वारा लगाए गए ट्रेड रेसिप्रोकल टैरिफ का भारत पर बेहद सीमित प्रभाव पड़ेगा। रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने अपने निर्यात को विविधता दी है और मूल्य संवर्धन (वैल्यू एडिशन) पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है, जिससे यह वैश्विक व्यापार में अधिक लचीला बन गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिकी टैरिफ के कारण भारत के निर्यात में 3-3.5 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। हालांकि, इसे मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में उच्च निर्यात लक्ष्यों के माध्यम से संतुलित किया जा सकता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत अमेरिका द्वारा एल्यूमीनियम और स्टील पर लगाए गए नए टैरिफ का लाभ उठा सकता है। वर्तमान में, भारत का अमेरिका के साथ एल्यूमीनियम व्यापार में 13 मिलियन डॉलर और स्टील व्यापार में 406 मिलियन डॉलर का घाटा है, लेकिन नए व्यापार समझौतों और सप्लाई चेन में सुधार से इसे बदला जा सकता है।

यूएस रेसिप्रोकल टैरिफ 2 अप्रैल से लागू होने की उम्मीद है। इस मुद्दे पर भारत और अमेरिका के बीच उच्च-स्तरीय द्विपक्षीय वार्ता चल रही है। भारत के केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले हफ्ते अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर से मुलाकात कर द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement – BTA) को लेकर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने इस बैठक की तस्वीर अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर साझा करते हुए कहा,”हमारा दृष्टिकोण ‘इंडिया फर्स्ट’, ‘विकसित भारत’ और हमारी रणनीतिक साझेदारी द्वारा निर्देशित होगा।”

एसबीआई रिसर्च के अनुसार, भारत अपने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) को आगे बढ़ा रहा है। भारत ने पिछले पांच वर्षों में मॉरीशस, यूएई, ऑस्ट्रेलिया सहित 13 देशों के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके अलावा, भारत वर्तमान में ब्रिटेन, कनाडा और यूरोपीय संघ के साथ भी एफटीए वार्ता कर रहा है।

भारत और न्यूजीलैंड ने हाल ही में एक व्यापक एफटीए वार्ता शुरू करने की घोषणा की है। अकेले ब्रिटेन के साथ एफटीए से 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार में 15 बिलियन डॉलर की वृद्धि होने की संभावना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के भविष्य के एफटीए डिजिटल व्यापार को बढ़ाने पर केंद्रित होंगे। अनुमानों के मुताबिक, 2025 तक भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 1 ट्रिलियन डॉलर जोड़ सकती है।

भारत वर्तमान में यूरोप से लेकर मध्य पूर्व और अमेरिका तक नए व्यापार मार्गों पर काम कर रहा है और सप्लाई चेन एल्गोरिदम को फिर से तैयार कर रहा है। सरकार और नीति-निर्माताओं का मानना है कि भारत की रणनीति – जिसमें विविधता, इनोवेशन और नए व्यापारिक साझेदारों पर ध्यान केंद्रित किया गया है – इसे वैश्विक व्यापार में एक मजबूत स्थिति में बनाए रखेगा, भले ही अमेरिकी टैरिफ लागू हों।

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