​शिंदे-फडणवीस सरकार की सालगिरह, गुमनाम लोग आए जनता के सामने!

एकनाथ शिंदे ​को ​​आज एक ​वर्ष​​ हो गया है​, जब शिंदे शिवसेना में बगावत के बाद ​भाजपा​​ की मदद से मुख्यमंत्री बने थे​|​​शिंदे को मुख्यमंत्री पद सौंपने की मांग लगातार ​भाजपा​​ नेताओं के मन में थी​|​​

​शिंदे-फडणवीस सरकार की सालगिरह, गुमनाम लोग आए जनता के सामने!

Anniversary of Shinde-Fadnavis government, anonymous people came in front of the public!

एकनाथ शिंदे ​को ​आज एक वर्ष​​ हो गया है​, जब शिंदे शिवसेना में बगावत के बाद भाजपा​​ की मदद से मुख्यमंत्री बने थे|​​शिंदे को मुख्यमंत्री पद सौंपने की मांग लगातार भाजपा​​ नेताओं के मन में थी|​​ भाजपा​​ के आक्रामक रुख के बाद मुख्यमंत्री के बेटे की इस्तीफे की चेतावनी और विज्ञापन से विज्ञापन हटाने पर भाजपा​​ की जनता की नाराजगी ने शिंदे गुट और भाजपा​​ के गुमनाम लोगों को जनता के सामने ला दिया है|

शिंदे की बगावत से महाविकास अघाड़ी सरकार गिर गई| 50 विधायकों के समर्थन के बावजूद 106 विधायकों वाली भाजपा ने शिंदे को मुख्यमंत्री पद दिया| यह घोषणा करने के बावजूद कि देवेंद्र फडणवीस सरकार में भाग नहीं लेंगे, उन्होंने भाजपा नेतृत्व के आदेश के कारण उपमुख्यमंत्री के रूप में भाग लिया। भले ही शिंदे-फडणवीस की सरकार हो लेकिन सरकार पर फडणवीस की पगड़ी का असर महसूस हुआ| शिंदे को मुख्यमंत्री पद देने की नाराजगी पिछले एक साल से लगातार भाजपा नेताओं में महसूस की जा रही है|

भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने बयान दिया था कि ‘हमने शिंदे को पत्थर मन से मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार कर लिया है|’ मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले का यह बयान कि ‘भाजपा गठबंधन में 240 सीटों पर चुनाव लड़ेगी’ भी शिंदे गुट को नागवार गुजरा|हाल ही में शिंदे गुट द्वारा जारी विज्ञापन से साबित हो गया है कि भाजपा और शिंदे गुट में ज्यादा अंतर नहीं है| यह दिखाने की कोशिशों से कि शिंदे फडणवीस से अधिक लोकप्रिय हैं, भाजपा में खलबली मच गई। शिंदे के ठाणे जिले में पिछले कुछ दिनों से भाजपा शिंदे की शिवसेना के खिलाफ हल्ला बोल रही है|  इससे तंग आकर शिंदे के सांसद बेटे श्रीकांत शिंदे को इस्तीफा देना पड़ा|
भले ही शिंदे और भाजपा लगातार ये दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि हम दोनों एकजुट हैं, लेकिन ये बात सामने आ रही है कि भाजपा और शिंदे गुट एक-दूसरे पर आरोप लगाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं| इसके अलावा भाजपा ने शिंदे गुट के कुछ मंत्रियों को दूर रहने का संदेश भी भेजा, जिससे शिंदे गुट की नाराजगी भी हुई| चाहे शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे हों या उद्धव ठाकरे, उनके कार्यकाल में भी शिवसेना-भाजपा गठबंधन में हमेशा अनबन बनी रही|शिंदे के सूत्रों के हवाले से खबर आने के बाद भी इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है|
 
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