मुंबई के अंधेरी इलाके में चल रही एक निर्माण परियोजना के ठेकेदार से ₹50 लाख की जबरन वसूली करने के आरोप में शिवसेना (शिंदे गुट) के पूर्व नगरसेवक कमलेश राय को शुक्रवार को रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया गया। यह कार्रवाई एमआईडीसी पुलिस स्टेशन की ओर से की गई।
पुलिस के अनुसार, कमलेश राय ने शुरुआत में बिल्डर से ₹50 लाख की मांग की थी। बाद में सौदा ₹35 लाख में तय हुआ। राय ने पहले ही ₹8 लाख की एक किस्त ले ली थी। जब वे दूसरी किस्त ₹5 लाख लेने आए, तो पुलिस ने जाल बिछाकर उन्हें पकड़ लिया।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि बिल्डर की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था, जिसके बाद राय की निगरानी शुरू हुई और उन्हें पकड़ते समय वसूली की रकम के साथ पकड़ा गया। फिलहाल मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है और पुलिस यह भी देख रही है कि कहीं इस वसूली में कोई और व्यक्ति तो शामिल नहीं है।
वहीं दूसरी ओर, महाराष्ट्र की राजनीति में भी शिवसेना (शिंदे गुट) को बड़ा बढ़ावा मिला है। यवतमाल जिले के सात पूर्व नगरसेवकों ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) को छोड़कर शिंदे गुट का दामन थाम लिया है। इन सातों में से तीन पूर्व नगराध्यक्ष भी शामिल हैं — पवन जैसवाल, सुनीता जैसवाल और वनीता मिसले। ये सभी नेता गुरुवार (31 जुलाई)देर रात ठाणे में आयोजित एक कार्यक्रम में शिंदे और मंत्री संजय राठौड़ की मौजूदगी में शामिल हुए।
शिवसेना (शिंदे गुट) की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, विदर्भ के पश्चिमी हिस्से से करीब 10,000 पदाधिकारी और राजनीतिक कार्यकर्ता जल्द ही पार्टी में शामिल होने की संभावना है। यह बदलाव शिवसेना (UBT) के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, खासकर राजनीतिक रूप से संवेदनशील यवतमाल जिले में।
डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने इस अवसर पर कहा,”हमारी सरकार ने बहनों, किसानों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए जो काम किया है, वह जनता के दिलों में बस गया है। नवंबर 2024 में महायुति को जो ऐतिहासिक जनादेश मिला, वह अचानक नहीं था, वह हमारी मेहनत का फल था।”
जहां एक ओर शिवसेना (शिंदे गुट) को विदर्भ में राजनीतिक बढ़त मिल रही है, वहीं मुंबई में उनके एक पूर्व नगरसेवक की गिरफ्तारी ने पार्टी की छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कमलेश राय की गिरफ्तारी न सिर्फ कानून व्यवस्था के लिहाज़ से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह बताती है कि राजनीति में आपराधिक गतिविधियों पर अब सख्त निगरानी रखी जा रही है।
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