शिवसेना पार्टी के नाम और ‘धनुष बाण’ के चुनाव चिन्ह को फ्रीज करने के मद्देनजर, चुनाव आयोग ने 11 अक्टूबर को उद्धव ठाकरे की शिवसेना को एक नया प्रतीक नाम आवंटित किया था। इसके बाद ठाकरे गुट को ‘ जलती मशाल’ का प्रतीक दिया गया था। हालांकि इस पर आपत्ति जताते हुए समता पार्टी ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। लेकिन, हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है।
उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच जारी विवाद के मद्देनजर चुनाव आयोग ने शिवसेना पार्टी का नाम और ‘धनुष बाण’ का चुनाव चिन्ह फ्रीज कर दिया था। उसके बाद उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे समूह के लिए नए प्रतीकों का वितरण किया गया।
इसी के अनुसार उद्धव ठाकरे समूह को ‘शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)’ नाम मिला। और शिंदे समूह के वैकल्पिक नाम ‘बालासाहेब की शिवसेना’ को मंजूरी दी गई। ठाकरे गुट को ‘जलती मशाल’ का प्रतीक दिया गया था, जबकि शिंदे समूह को ‘ढाल-तलवार’ का प्रतीक दिया गया।
हालांकि समता पार्टी ने शिवसेना को दिए गए ‘जलती मशाल’ चिन्ह पर दावा किया था। साथ ही समता पार्टी ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर शिवसेना को अंधेरी उपचुनाव में ‘जलती मशाल’ के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की थी। सुनवाई आज (19 अक्टूबर) को हुई। इस बार समता पार्टी की इस याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है| हाईकोर्ट ने कहा कि पार्टी के चुनाव चिह्न पर समता पार्टी का दावा अमान्य है। ऐसे में ठाकरे समूह को बड़ी राहत मिली है|
यह भी पढ़ें-
पहले हम कबूतर छोड़ते थे,अब चिता के बयान पर ओवैसी की तीखी प्रतिक्रिया