25 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय की 9 जजों की बेंच ने 8:1 के बहुमत से राज्यों के हित में ऐतिहासिक निर्णय देते हुए राज्यों को खनिज उत्पादक भूमि पर कर वसूली का अधिकार दिया था। इसी फैसले के दौरान चीफ़ जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई में पीठ ने केंद्र के राज्यों को मिलने वाली रॉयल्टी और कर एक ही समझा जाए इस दावे को भी ख़ारिज कर दिया था, जिसके बाद केंद्र ने खनिज कंपनियों और आम नागरिको के हित में इस कर वसूली को पूर्वगामी न रखते हुए भविष्य से लगाने की मांग भी की। अब इस मांग पर सर्वोच्च न्यायालय का अहम फैसला आया है। सर्वोच्च न्यायलय ने फैसला सुनाया है की खनिज सम्पदा पर टैक्स पूर्वगामी होगा। इस पूर्वगामी टैक्स को 1 अप्रैल 2005 से लागू कर वसूलने के अधिकार कोर्ट ने राज्यों को दिए है।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा खनिज संपदा पर पूर्वगामी टैक्स के फैसले से खनिज कंपनियों को बड़ा झटका लगा है। इस फैसले के बाद खनिज उत्पादक राज्य डिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान को बड़ी जीत मिली है। केंद्र ने 25 जुलाई के फैसले के बाद टैक्स लागु करने की मांग को सर्वोच्च न्यायलय ने ख़ारिज कर दिया है। साथ ही बीते 19 सालों पर राज्यों को खनिज संपदा पर कर लगाने की बात की है।
इसी के साथ राज्यों द्वारा टैक्स पर खनिज उत्पादक कंपनियों को 12 साल की अवधि में इस टैक्स को जमा करवाने के आदेश दिए है। साथ ही इस टैक्स पर राज्यों द्वारा जुर्माना या ब्याज न लगाने के भी आदेश दिए है। सर्वोच्च न्यायलय ने पिछले 19 साल के टैक्स के भुगतान को 1 अप्रैल 2026 से शुरू हो रहे वित्त वर्ष से 12 वर्षों की अवधि में किश्तों में देने का फैसला भी सुनाया है।
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