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Monday, December 22, 2025
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राहुल गांधी के सवाल कुछ लोग हजम नहीं कर पा रहे : सुखदेव भगत! 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी इस मुद्दे को हमेशा उठाते रहे हैं। उन्होंने इस मामले पर लेख लिखकर पूरे देश का ध्यान आकृष्ट कराया था।

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कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने गुरुवार को कहा कि जिस अंदाज में उनके नेता राहुल गांधी चुनाव आयोग से सवाल पूछ रहे हैं वो कुछ लोगों को रास नहीं आ रहा। उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र में मैच फिक्सिंग हुई है और सांसद गांधी ने इस मुद्दे की ओर पूरे देश का ध्यान आकर्षित कराया है।

उन्होंने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा, “इस बात को खारिज नहीं किया जा सकता है कि चुनाव आयोग की भूमिका हमेशा से ही संदेह के घेरे में रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी इस मुद्दे को हमेशा उठाते रहे हैं। उन्होंने इस मामले पर लेख लिखकर पूरे देश का ध्यान आकृष्ट कराया था।”

कांग्रेस नेता ने दावा किया कि महाराष्ट्र में मैच फिक्सिंग हुई है, जिसमें चुनाव आयोग की भी भूमिका रही है, और इसी मुद्दे को हमारे पार्टी के नेता राहुल गांधी उठा रहे हैं, जिसे कुछ लोग हजम नहीं कर पा रहे हैं। खैर, हम इस मुद्दे को लगातार उठाते रहेंगे।

उन्होंने कहा कि मतदाता सूची में गड़बड़ी हुई है। इसे लेकर हमने आयोग से कई साक्ष्य मांगे थे, लेकिन आयोग ने हमारी मांग नहीं मानी। हम यह चाहते हैं कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता बरकरार रहे और उसकी गरिमा पर किसी भी प्रकार का कुठाराघात नहीं लगे। अगर ऐसा हुआ, तो हम इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं कर सकते हैं।

वहीं भारत-पाक सीजफायर को भी उन्होंने सही नहीं करार दिया। भगत ने कहा कि आतंकवाद को एक सभ्य समाज में किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है। आतंकवाद को वैश्विक मोर्चे पर हम सभी को परास्त करने के लिए एकजुट होना ही होगा, तभी जाकर हम सभी को इसमें अपेक्षित सफलता मिल पाएगी और इस दिशा में हमें वो सफलता मिली भी है।

उन्होंने कहा कि इस बात को खारिज नहीं किया जा सकता है कि चाहे वो इजरायल और ईरान के बीच युद्ध हो या फिर रूस-यूक्रेन, भारत ने दोनों ही स्थिति में अहम भूमिका निभाई। भारत बढ़त की स्थिति में रहा। लेकिन, पाकिस्तान के साथ स्थिति बिल्कुल उलट रही।

पहले हम पाकिस्तान पर हावी हुए। लेकिन, जब मसला सीजफायर का आया, तो कहीं ना कहीं हमारी भूमिका कमतर हो गई, जिसे लेकर आज भी केंद्र की मोदी सरकार से देश की जनता सवाल कर रही है। लेकिन, केंद्र सरकार इस सवाल का जवाब देने से बच रही है। अब इस स्थिति को मौजूदा समय में किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
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