सीएए को लेकर मुस्लिम संगठनों में फुट, विरोधी खेमे भी हड़कंप !

सरकार द्वारा जारी सीएए अधिसूचना को लेकर भाजपा शासित प्रदेश व समर्थकों में ख़ुशी लहर है तो वही विपक्षी पार्टियों द्वारा सरकार के इस अधिसूचना को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है|

सीएए को लेकर मुस्लिम संगठनों में फुट, विरोधी खेमे भी हड़कंप !

There is a split among Muslim organizations regarding CAA, opposition camps also create ruckus!

केंद्र सरकार द्वारा बहुप्रतीक्षित नागरिकता संशोधन कानून का अधिसूचना जारी कर दिया गया है|सरकार द्वारा जारी सीएए अधिसूचना को लेकर भाजपा शासित प्रदेश व समर्थकों में ख़ुशी लहर है तो वही विपक्षी पार्टियों द्वारा सरकार के इस अधिसूचना को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है| इसी क्रम में इसकी एक बानगी मुस्लिम समाज में देखी जा रही है| वहां पर भी भाजपा सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून को लेकर समर्थन किया जा रहा है तो एक मुस्लिमों का एक धड़ सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाता दिखाई दे रहा है|

बता दें ठीक लोकसभा चुनाव 2024 के पहले सीएए को भाजपा सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करने को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां पूरी तरह से बौखलाई हुई हैं| कुछ ने इसे भाजपा द्वारा वोटों के ध्रुवीकरण करने का गंभीर आरोप भी लगाया है| दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की टीएमसी सरकार द्वारा शुरू से ही नागरिकता संशोधन कानून लागू करने के सख्त खिलाफ है तो वही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि सीएए को लागू करने से इसे कोई रोक नहीं सकता हैं|

बता दें कि पश्चिम बंगाल के भाजपा विधायक शंकर घोष ने सीएए लागू होने पर कहा कि ‘भाजपा ने पहले ही इसका एलान कर दिया था। घोष ने कहा सीएए और कुछ नहीं बल्कि संविधान के तहत भारतीय नागरिकता देने का दस्तावेज है। इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं है। टीएमसी ऐसी पार्टी है, जो घुसपैठियों का समर्थन करती है।’

गौरतलब है की सीएए में किसी की नागरिकता छीनने का प्रावधान है। मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह कानून उनके साथ भेदभाव करता है, जो देश के संविधान का उल्लंघन है। वही दूसरी ओर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शाहबुद्दीन रिजवी बरेलवी ने सीएए अधिसूचना लागू होने का स्वागत किया गया है| उन्होंने कहा कि इसे बहुत पहले ही लागू किया जाना चाहिए था| वही उन्होंने कहा कि इस कानून का मुस्लिमों से कोई लेना-देना नहीं है| इसे लेकर उनमें बहुत गलतफहमी है| देश के करोड़ों मुसलमान इस कानून से प्रभावित नहीं होंगे और इससे किसी की नागरिकता नहीं जाएगी।

वही, दूसरी ओर सीएए कानून को लेकर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की ओर सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी है| मुस्लिम लीग ने अपने याचिका में सुप्रीम कोर्ट से इसे रोक लगाने की मांग की गयी है|यही नहीं आईयूएमएल याचिका में सीएए को लेकर तर्क दिया कि किसी कानून की संवैधानिकता तब तक लागू नहीं होगी, जब तक कानून स्पष्ट तौर पर मनमाना हो। वही दूसरी ओर आईयूएमएल ने यह भी कहा कि शरणार्थियों को नागरिकता देने के खिलाफ नहीं है, लेकिन उनका विरोध इसमें मुस्लिम धर्म के लोगों को बाहर रखने को लेकर है।

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