पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के असामयिक निधन से गुजरात शोकाकुल है। राज्य सरकार ने सोमवार (16 जून) को एक दिन के राजकीय शोक की घोषणा की। सुबह विधानसभा भवन, स्वर्णिम कॉम्प्लेक्स‑1 समेत सभी प्रमुख सरकारी इमारतों पर तिरंगा आधा झुकाकर राष्ट्रध्वज को श्रद्धांजलि दी गई। रूपाणी का पार्थिव शरीर आज शाम राजकोट में पूरे राजकीय सम्मान के साथ पंचतत्त्व में विलीन किया जाएगा।
रूपाणी Air India की उसी उड़ान में सवार थे, जो 12 जून को दुर्घटनाग्रस्त हुई और जिसमें चालक दल समेत 241 लोगों की जान चली गई। विस्तृत डीएनए परीक्षण के बाद रविवार 15 जून को सुबह 11:10 बजे उनका मिलान सफल हो गया। राज्य के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने पुष्टि करते हुए कहा कि रिपोर्ट मिलते ही परिवार को सूचना दे दी गई।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल स्वयं रूपाणी निवास पहुंचे और परिजनों को सांत्वना देते हुए कहा, “डीएनए मिलान हो गया है। अंतिम संस्कार राजकोट में संपन्न कराने में सरकार पूरा सहयोग करेगी।” स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने बताया कि पार्थिव शरीर अहमदाबाद सिविल अस्पताल से सुबह लगभग 11:30 बजे परिजनों को सौंपा गया। हवाई मार्ग से शव को राजकोट ले जाकर अंतिम यात्रा से पूर्व लगभग एक घंटे तक घर पर दर्शनार्थ रखा जाएगा।
विधायक रीटा पटेल ने परिवार की भावना साझा करते हुए कहा, “विजय रूपाणी के परिजन तीन दिन से इंतजार कर रहे थे, डीएनए मिलान के बाद उन्हें संतोष मिला।” राजकोट में शाम 5 बजे पूरे राजकीय सम्मान—गार्ड ऑफ ऑनर, पुष्पांजलि सैल्यूट और शोक ध्वनि—के साथ दाह‑संस्कार की पूरी व्यवस्था की गई है। भाजपा के वरिष्ठ नेता, सामाजिक संगठन और हजारों कार्यकर्ता रूपाणी को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंच रहे हैं।
दुर्घटना की जांच के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने संयुक्त विशेष दल गठित कर दिया है। उधर, मुख्यमंत्री पटेल, विपक्ष के नेता अमर सिंह चौधरी, राज्यपाल आचार्य देवव्रत व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक संदेश जारी कर रूपाणी की जन‑सेवा को ‘अविस्मरणीय योगदान’ बताया। सभी दलों के नेताओं ने दिवंगत नेता के पुण्य स्मरण में विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर दो मिनट का मौन भी रखा।
विजय रूपाणी (67) ने 2016‑2021 तक गुजरात के 16वें मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। उनके कार्यकाल को उद्योग अनुकूल नीतियों, समुद्री तट विकास और स्वास्थ्य बीमा ‘मुख्यमंत्री अमृतम्’ योजना के लिए याद किया जाता है। राजनीति से इतर वे समाज सेवा और पशुपालन के प्रति प्रतिबद्ध रहे।
आज राजकोट की सरजमीं उन्हें अंतिम विदाई देगी, लेकिन ‘नवसर्जन’ के उनके सपने सदा जीवित रहेंगे। प्रदेश भर में पार्टी कार्यालयों, मंदिरों और सामुदायिक केंद्रों पर श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित कर आमजन उनके सेवा‑संकल्प को याद कर रहे हैं।
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