महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार (8 मार्च )को औरंगजेब की कब्र को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि यह केवल उनकी सरकार का सवाल नहीं है, बल्कि यह सभी लोगों से जुड़ा हुआ मुद्दा है कि औरंगजेब की कब्र को हटाना चाहिए या नहीं।
हालांकि, फडणवीस ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में कार्यवाही कानूनी ढंग से की जानी चाहिए, क्योंकि यह कब्र कांग्रेस के शासनकाल में संरक्षित की गई थी और उस समय से ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का संरक्षण प्राप्त है। उन्होंने बताया कि कब्र का संरक्षण कानूनी प्रक्रिया के तहत हुआ था, और इसे हटाने या उसमें कोई बदलाव करने के लिए कानून का पालन करना आवश्यक है। उनका कहना था कि इस मुद्दे पर जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता है।
सीएम फडणवीस मुंबई में ‘श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज’ के 350वें शहीदी वर्ष के अवसर पर आयोजित ‘गुरमत समागम’ कार्यक्रम में पहुंचे थे, जहां उन्होंने यह बयान दिया। उनका यह बयान राज्य में औरंगजेब की कब्र को लेकर बढ़ते विवाद के बीच आया है, जिसमें कई राजनीतिक और धार्मिक संगठन इस कब्र को हटाने की मांग कर रहे हैं।
हाल ही में, हिंदू जनजागृति समिति द्वारा आरटीआई के जरिए जानकारी सामने आई थी कि केंद्रीय पुरातत्व विभाग ने 2011 से 2023 तक औरंगजेब की कब्र के रखरखाव पर लगभग 6.5 लाख रुपये खर्च किए हैं। समिति ने सवाल उठाया था कि इतनी बड़ी राशि कब्र के रखरखाव पर क्यों खर्च की गई, जबकि सिंधु दुर्ग किले में स्थित राज राजेश्वर मंदिर के रखरखाव के लिए केवल 6,000 रुपये सालाना दिए जाते हैं।
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हिंदू जनजागृति समिति ने आरोप लगाया कि केंद्रीय पुरातत्व विभाग औरंगजेब की कब्र की देखभाल पर अधिक खर्च कर रहा है, जबकि अन्य धार्मिक स्थलों की देखभाल में इतनी प्राथमिकता नहीं दी जा रही। उन्होंने इसे भेदभावपूर्ण बताया और सरकार से इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण की मांग की।