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सुप्रीम कोर्ट का सुभ्रमण्यम स्वामी समर्थक के खिलाफ केस रद्द करने से किया इनकार

पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी मामला, कहा– अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का खुलेआम दुरुपयोग

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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (18 दिसंबर)को कर्नाटक के बेंगलुरु निवासी और स्वयं को बीजेपी कार्यकर्ता बताने वाले गुरुदत्त शेट्टी कारकला की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। शेट्टी ने गुजरात पुलिस द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सोशल मीडिया पर कथित अपमानजनक टिप्पणियों को लेकर दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। अदालत ने न केवल FIR रद्द करने से इनकार किया, बल्कि जमानत के लिए आवेदन करने हेतु एक सप्ताह की अंतरिम राहत देने से भी मना कर दिया।

यह मामला ऐसे समय सामने आया है, जब गुरुदत्त शेट्टी खुद को बीजेपी कार्यकर्ता बताते हैं, लेकिन वह पार्टी के वरिष्ठ नेता सुभ्रमण्यम स्वामी के समर्थक माने जाते हैं और सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी व मोदी सरकार की आलोचना और व्यंग्यात्मक टिप्पणियां करते रहते हैं।

मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति विपुल पंचोली भी शामिल थे, ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का बेशर्मी से दुरुपयोग किया है। अदालत ने यह भी नोट किया कि याचिकाकर्ता की ओर से किसी तरह का पश्चाताप या खेद नहीं दिखाया गया है।

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “आपने उस पोस्ट को याचिका के साथ संलग्न नहीं किया है, क्योंकि आपको कोई पश्चाताप नहीं है। आपने जो किया है, उसके लिए आपके मन में कोई खेद नहीं है। जिन लोगों को आप गाली दे रहे हैं, उनके लिए आपके पास एक भी अच्छा शब्द नहीं है।”

गुरुदत्त शेट्टी पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X  पर जवाहरलाल नेहरू व्यंग्य (Jawaharlal Nehru Satire) नामक एक पैरोडी अकाउंट से किए गए पोस्ट को री-पोस्ट किया था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक और मानहानिकारक भाषा का इस्तेमाल किया गया था। शेट्टी का दावा है कि उन्होंने उस पोस्ट को केवल एक प्रश्नचिह्न के साथ री-ट्वीट किया था और वह इसके मूल लेखक नहीं हैं।

जिस अकाउंट से यह पोस्ट किया गया था, वह ब्लू टिक वाला @The_Nehru नामक अकाउंट है, जिसे भारत में रोक दिया गया है। यह अकाउंट नियमित रूप से मोदी सरकार के खिलाफ व्यंग्यात्मक और अपमानजनक टिप्पणियां करता रहा है।

गुजरात पुलिस ने इस मामले में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 336(4) और 79 के तहत एफआईआर दर्ज की है, जो कि जमानती धाराएं हैं। आरोप है कि यह पोस्ट प्रधानमंत्री की छवि को धूमिल करने के इरादे से की गई थी। शेट्टी ने यह भी आरोप लगाया कि 10 नवंबर को अहमदाबाद पुलिस बिना वारंट उनके बेंगलुरु स्थित घर पहुंची, उन्हें थोड़ी देर के लिए रोका और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 35 के तहत नोटिस थमाया।

याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से 5–7 दिन की अंतरिम राहत की मांग की थी ताकि वह गुजरात हाईकोर्ट में जमानत के लिए आवेदन कर सकें। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इसे ठुकराते हुए स्पष्ट कहा, “सुरक्षा देने का कोई सवाल ही नहीं है।” हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि गुरुदत्त शेट्टी को संबंधित हाईकोर्ट में कानूनी उपाय अपनाने की पूरी स्वतंत्रता है।

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