शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम मानहानि मामले में सूरत की निचली अदालत द्वारा दी गई दो साल की सजा पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि राहुल गांधी को दो साल की सजा क्यों दी गई, उन्हें कम सजा भी दी जा सकती थी। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस फैसले निर्वाचित क्षेत्र को नुकसान हुआ है। दरअसल, कर्नाटक में 2019 में एक रैली के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि सभी मोदी सरनेम वाले चोर क्यों होते है। उन्होंने कहा था कि ललित मोदी, नीरव मोदी नरेंद्र मोदी सबके सरनेम कॉमन हैं। सब चोरों के नाम मोदी क्यों हैं ? जिस पर बीजेपी के पूर्व विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज किया था।
23 मार्च 2023 को सूरत की जिला कोर्ट ने इस मामले मामले में दो साल किन सजा सुनाई थी। उसके एक दिन बाद यानी 24 मार्च को लोकसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई थी। इसके बाद 7 जुलाई को गुजरात हाई कोर्ट ने राहुल गांधी की उस याचिका को खारिज कर दी थी जिसमें दो साल किन सजा पर रोक लगाने की मांग की गई थी। अब उसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की दो साल की सजा पर रोक लगा दी है।
राहुल गांधी ने सूरत की जिला कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा के खिलाफ सत्र अदालत का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन 20 अप्रैल को सेशन कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद 25 अप्रैल को राहुल गांधी ने सूरत सेशन कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए गुजरात हाई कोर्ट में अपील की थी।
इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूर्णेश मोदी के वकील से यह जानना चाहा कि राहुल गांधी को अधिकतम सजा क्यों दी गई। जिस पर पूर्णेश मोदी के वकील ने जवाब देते हुए कहा कि ऐसी सजा इसलिए दी गई है कि उन्हें पहले भी हिदायत दी गई थी। लेकिन उनके बर्ताव में को बदलाव नहीं आया। जबकि खुद सुप्रीम कोर्ट ने भी राहुल गांधी द्वारा कही गई बात को गलत माना है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक जीवन जी रहे व्यक्ति को भाषण देते समय सावधान रहना चाहिए। 15 जुलाई को राहुल गांधी ने गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर 21 जुलाई को सुनवाई शुरू की और अगली सुनवाई 4 अगस्त के लिए तय की थी।
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